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बिहार में बाढ़ की स्थिति

बिहार में बाढ़ की स्थिति

 

बिहार में बाढ़ की स्थिति

 

 

बिहार में हर साल बाढ़ से लाखों लोगों की जिंदगी तबाह होती है।

 

PATNA- हर साल बिहार में बाढ़ की स्थिति बनी रहती है। लाखों लोगों के जान माल का नुकसान होता है, उनका घर बार, फसल और खेती बाढ़ के कारण तबाह हो जाती है। सरकार की तरफ से बाढ़ प्रभावित की मदद की जाती है। रिलीफ का काम भी होता है और आपदा प्रबंधन विभाग की टीम बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की मुश्किलों को हल करने की कोशिशों में जुट जाती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार कहा है की राज्य के कोष पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। इस नाते बाढ़ प्रभावित ज़िलों के लोग ये उम्मीद करते हैं कि सरकार समय पर उनकी मदद करेगी लेकिन मदद में देरी होती है। नतीजे के तौर पर बाढ़ के मुश्किल भंवर में फंसे लोग और भी मुश्किल हालात में जीने पर मजबूर हो जाते हैं।

 

 

समय पर नहीं की जाती है बाढ़ पीड़ितों की मदद

 

बिहार में बाढ़ की स्थिति को काबू में करने के लिए सरकार की तरफ सो ठोस कदम उठाए जाने का एलान होता रहा है लेकिन बाढ़ की समस्याएं अब तक हल नहीं हो सकी है। प्राकृतिक आपदा को कंट्रोल नहीं किया जा सकता है लेकिन इस सिलसिले में समय रहते लोगों की जान माल को बचाने का प्रयास जरूर किया जा सकता है लेकिन होता ये है कि बाढ़ में अपना सब कुछ गंवा चुके लोगों की मदद सरकार उस वक्त नहीं कर पाती है जब बाढ़ पीड़ितों को सरकार से मदद की सख्त जरूरत होती है। आपदा प्रबंधन विभाग बाढ़ के समय लोगों की मदद करने का दावा करता है यहां तक की मुख्यमंत्री खुद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वे करते हैं। मुख्यमंत्री खुद इस काम का मॉनिटरिंग करते है फिर भी बाढ़ पीड़ितों की मदद समय पर नहीं होना कई सारे सवालों को खड़ा करता है। बात सीमांचल की करें तो सीमांचल में बाढ़ के कहर से हर साल हज़ारों लोग बेघर हो रहे हैं और दर्जनों लोगों की जान चली जाती है लेकिन सीमांचल के नक्शे पर सरकार की योजनाएं कोई कमाल नहीं कर पा रही है।

 

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सीमांचल के साथ होता है भेद भाव

 

एम आई एम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान का कहना है कि सरकार सीमांचल के साथ भेद भाव करती है। अख्तरुल इमान के मुताबिक सीमांचल का सबसे बड़ा मसला बाढ़ और नदियों के कटाव से जुड़ा है। हालत ये है की जिनके पास दस-दस एकड़ जमीन है वो पंजाब के पांच एकड़ जमीन वालों के यहां जाकर मजदूरी करते हैं तब जा कर किसी तरह उनके घर की दाल रोटी का इंतजाम होता है। अख्तरुल इमान ने सरकार से पूछा है कि क्या सीमांचल ने कोई पाप किया है कि जिसके कारण सरकार सीमांचल के बाढ़ पीड़ितों की मदद के सिलसिले में गंभीर नहीं है।

 

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एम आई एम ने सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की दी चेतावनी

 

एम आई एम ने सरकार को खबरदार किया है कि अगर बाढ़ पीड़ितों की मदद फौरी तौर पर नहीं की जाती है तो सीमांचल के लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे। एम आई एम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान के मुताबिक जो लोग भूमिहीन है या उनके पास एक एकड़ से कम ज़मीन है तो उनके लिए सरकार की तरफ से जमीन और मकान देने का फैसला है लेकिन जो खाते पीते लोग है जिनका घर और जमीन सब कुछ बाढ़ ने खत्म कर दिया है उनकी मदद के लिए भी सरकार को पहल करना चाहिए। पिछले तीन सालों के दरमियान सीमांचल में तीन हज़ार से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं लेकिन सरकार की तरफ से ऐसे लोगों को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल सकी है।

 

Akhtarul Iman, MLA and Bihar State president, All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen.

 

 

विधानसभा में बाढ़ पीड़ितों का मामला रखने के बाद भी मसला नहीं हुआ हल

 

एम आई एम का कहना है कि पहले दिन से जब से हमारे पांच विधायक जीत कर आए हैं, हम सीमांचल के मसले को हल कराने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल सीमांचल की पसमांदगी, गरीबी, पलायन और बेरोजगारी का रिश्ता बाढ़ से जुड़ा है। घनी नदियां, बलुई मिट्टी और नदियों के किनारे बसे घर को हर साल बाढ़ का पानी अपने साथ बहा कर ले जाता है। हज़ारों हैक्टर फसल की ज़मीन नदी के कटाव के कारण नदी में मिल जाती है। विधानसभा में इस मामले को रखने के बाद भी आपदा प्रबंधन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की है। अख्तरुल इमान का कहना है कि बिहार के दूसरे क्षेत्रों में सरकार काम करती है। जानवरों को भी चारा दिया जाता है लेकिन सीमांचल में हमारे लोग डुब कर मर जाते हैं लेकिन कोई खैरियत पुछने वाला नहीं है।

 

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बाढ़ पीड़ितों को सरकारी मदद का रहता है इंतजार

 

बिहार में बाढ़ की स्थिति को हल करने का सरकार हमेशा दावा करती है। ऐसा नहीं है कि सरकार की स्तर से कुछ किया नहीं जाता है। सरकार पूरी तरह से बाढ़ के मामले और बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद में लग जाती है। सबसे बड़ा मसला समय का होता है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग सरकारी मदद में कई-कई दिन भूखे प्यासे गुजार देते है लेकिन उन तक मदद नहीं पहुंच पाती है। एम आई एम के मुताबिक सीमांचल की स्थिति और भी खराब है। सरकार को बाढ़ के मसले से निपटने के लिए पहले से तैयारी करनी चाहिए।

 

एम आई एम ने प्रधानमंत्री को सौंपा है ज्ञापन

 

एम आई एम ने हाल ही में प्रधानमंत्री को सीमांचल के मामले पर एक ज्ञापन दिया है। जिसमें प्रधानमंत्री से मांग की गई है कि सीमांचल को आर्टिकल 371 के तहत स्पेशल जोन करार दिया जाए और वहां के लिए स्पेशल पैकेज दिया जाए ताकि मुश्किल हालात में जी रहे सीमांचल के लाखों लोगों की जिंदगी को पटरी पर लाने में मदद मिल सके। एम आई एम ने कहा है कि इस सिलसिले में केंद्र और राज्य सरकार गंभीरता से पहल करें तो सीमांचल का मसला हल हो सकता है। प्रधानमंत्री को दिए ज्ञापन में किशनगंज के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की शाख के लिए फंड जारी करने की भी अपील की गई है।

 

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