Site icon HoldStory I हिन्दी

नीतीश कुमार और बिहार के मुस्लिम वोटर

नीतीश कुमार और बिहार के मुस्लिम वोटर

 

नीतीश कुमार और  बिहार के मुस्लिम वोटर

 

अकलियतों को एतमाद में लिए बगैर नही बढ़ सकती है जेडीयू की गाड़ी।

 

(नीतीश कुमार और बिहार के मुस्लिम वोटर) बिहार में अल्पसंख्यकों की आबादी 17 फीसदी के करीब है। 60 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां अकलियती आबादी फैसला कुन तादाद में है लेकिन विधानसभा में अकलियतों का प्रतिनिधित्व नाम के बराबर होता है। जेडीयू शुरु दिन से ही सुबे के अल्पसंख्यक वर्ग को अपनी झोली में करने की कवायद पर काम करती रही है लेकिन अब तक जेडीयू को इस मामले में कोई बड़ी कामयाबी नही मिल सकी है। पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था जिसमें एक भी मुस्लिम उम्मीदवार कामयाब नही हो सका। जेडीयू एक बार फिर से मुसलमानों को करीब लाने की मुहीम में जुटी है। इस काम में मुस्लिम नेताओं को सामने ला कर एक मोनासिब रणनीति के तहत काम करने का मंसुबा बनाया जा रहा है।

 

जेडीयू और मुस्लिम वोटर

जानकारों के मोताबिक बिहार में आरजेडी और कांग्रेस पार्टी को आज भी मुसलमानों का सबसे ज्यादा वोट मिलता है लेकिन जेडीयू को भी मुस्लिम समाज पसंद करता है खासतौर से नीतीश कुमार की नीतियों का अल्पसंख्यक वर्ग स्वागत करता है लेकिन उनके सामने मसला तब खड़ा होता है जब वो देखते है कि अल्पसंख्यकों से जुड़े संगठन और एदारों पर सरकार की कोई तवज्जो नही है। नीतीश कुमार के सुशासन और सब के साथ न्याय करने का दावा अकलियतों को खोखला लगने लगता है और फिर जेडीयू के रणनीति के मोताबिक अकलियतों का वोट पार्टी को नही मिल पाता है। (नीतीश कुमार और बिहार के मुस्लिम वोटर)

 

 

बेहतर छवी के बाद भी नीतीश कुमार पर क्यूं नही है अकलियतों को भरोसा

समाज के जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार की छवी समाज में बेहतर है लेकिन अकलियतों को जेडीयू पर मुकम्मल एतबार तब होगा जब सियासी हिस्सेदारी के साथ साथ पार्टी में भी मुसलमानों को उचित भागीदारी मिले। हाल में गठित जेडीयू प्रदेश कमिटि में भी आबादी के अनुपात में अल्पसंख्यकों को हिस्सेदारी नही मिली है। उपर से जेडीयू ने इस बात की कोशिश नही की है कि समाज के किन लोगों को पार्टी से जोड़ा जाए। मुसलमान के नाम पर जिन नेताओं को नुमाइंदगी दी जाती है उन में कुछ को छोड़ कर बाकी लोगों की समाज पर पकड़ नही है।

 

 

 

अकलियती समाज पर पकड़ बनाने वाले नेताओं की है पार्टी में कमी

(नीतीश कुमार और बिहार के मुस्लिम वोटर) जानकारों के मोताबिक जेडीयू को अगर अल्पसंख्यकों के दरमियान अपनी शाख मज़बुत बनानी है तो उस समाज के अच्छे नेताओं को तरजीह देनी होगी। सिर्फ पार्टी दफ्तर में अपनी नेतागीरी चमकाने वाले लोगों के कांधों पर जेडीयू का सफर मुकम्मल नही होगा। इसके अलावा अल्पसंख्यकों के नाम पर चलने वाली योजनाओं को लागु कराने के साथ साथ अकलियतों से जुड़े एदारों को गठन करना होगा। अकलियती आबादी के जेहन में ये बात बैठानी होगी कि नीतीश कुमार ना सिर्फ बिहार की तरक्की को लेकर संजिदा है बल्कि अमली एतबार से भी अकलियतों के विकास के सिलसिले में काम कर रहे हैं। सुरक्षा, लॉ एंड ऑडर और इंसाफ देने का अमली नमुना जब तक पेश नही किया जाएगा तब तक अल्पसंख्यक समाज को पूरी तरह से पार्टी से जोड़ना महज़ एक ख्वाब होगा। (नीतीश कुमार और बिहार के मुस्लिम वोटर)

 

 

Also Read –

 

Exit mobile version