Bihar State Madarsa Education Board Patna
पटना का ऐतिहासिक मदरसा, मदरसा शमसुल होदा बंद होने के कगार पर Bihar State Madarsa Education Board Patna भी खामोश
PATNA- बिहार में मदरसों का एक बड़ा नेटवर्क मौजूद है लेकिन सरकार से स्वीकृत मदरसों की संख्या 1,942 है। ये ऐसे मदरसे हैं जिसको सरकार की तरफ से अनुदान मिलता है और Bihar State Madarsa Education Board Patna के मातहत मदरसों का काम होता है। पूरे बिहार में एक मात्र शमसुल होदा मदरसा है जो राजकीय मदरसा है यानी पूरी तरह से एक सरकारी मदरसा है। ये मदरसा भी Bihar State Madarsa Education Board Patna के मातहत आता है लेकिन ये राज्य का एक मात्र ऐसा मदरसा है जिस की हैसियत सरकार की दूसरी शिक्षण संस्थाओं की तरह है। इस मदरसे को तमाम सुविधाएं देने की बात की जाती है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से एक अहम संस्थान होने के बाद भी सरकार की तरफ से इस मदरसे को पूरी तरह से नज़र अंदाज किया जा रहा है।
कभी शमसुल होदा मदरसा में पढ़ना छात्रों का सपना होता था
इस मदरसे का इतिहास सौ सालों का है। कभी शमसुल होदा मदरसे में पढ़ना बिहार के छात्रों का सपना हुआ करता था तब मदरसे की हालत काफी अच्छी थी। यहां से तालीम हासिल कर छात्र देश के महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचने में कामयाब हुए है लेकिन पिछले 20 सालों में ये मदरसा पूरी तरह से खस्ताहाल हो गया है। सबसे बड़ा मसला शिक्षकों की कमी का है। मदरसे में दो सेक्शन है। एक को जूनियर सेक्शन कहते है और दूसरे को सीनियर सेक्शन। जूनियर सेक्शन में पहली क्लास से लेकर 10वी तक की पढ़ाई होती है और सीनियर सेक्शन में इंटरमीडियेट यानी मौलवी से लेकर एमए तक की पढ़ाई होती है। मदरसे की समस्या ये है कि जूनियर सेक्शन में सभी शिक्षक रिटायर्ड हो गए हैं, सिर्फ एक शिक्षक मौजूद है। यानी एक शिक्षक के कांधे पर पहली क्लास से लेकर 10वीं तक के छात्रों को पढ़ाने की जवाबदेही है। इस मामले में Bihar State Madarsa Education Board Patna का रवैया भी अफसोसनाक रहा है।
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मदरसा शमसुल होदा का जूनियर सेक्शन
पहली क्लास से 10वीं तक के लिए मदरसे के जूनियर सेक्शन में एक टीचर मौजूद हैं। बाकी ओहदा बरसों से खाली पड़ा है जिस पर नियुक्ति के मामले में सरकार की तरफ से पूरी तरह लापरवाही है। मदरसे के लोगों ने बार-बार शिक्षकों की नियुक्ति का मामला शिक्षा विभाग के सामने रखा है लेकिन बिहार के शिक्षा विभाग को इस मामले से कोई लेना देना नहीं है। सुशासन की सरकार में मदरसों का विकास जरूर हुआ है लेकिन शमसुल होदा मदरसा पूरी तरह से बदहाल हो गया है। कभी इस मदरसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक बड़ा कार्यक्रम हुआ था तब मुख्यमंत्री ने इस मदरसे के साथ-साथ पूरे बिहार के मदरसों के विकास की बात की थी। हालात ये है कि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से शमसुल होदा मदरसे ने अपने जूनियर सेक्शन में छात्रों का दाखिला अब बंद कर दिया है।
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बिहार मदरसा एजुकेशन बोर्ड
इस मामले में मदरसा बोर्ड की तरफ से भी कोई कार्रवाई नहीं जा रही है। हालांकि इस मदरसे के कारण ही मदरसा बोर्ड वजूद में आया था। जस्टिस सैयद नुरुलहोदा ने 1912 में पटना के अशोक राज पथ पर इस मदरसे को कायम किया था। 1922 में मदरसे के छात्रों की परीक्षा लेने के लिए बिहार मदरसा एक्जामिनेशन बोर्ड बनाया गया और बाद में यही एक्जामिनेशन बोर्ड 1978 में Bihar State Madarsa Education Board Patna बना। मदरसा बोर्ड के मातहत राज्य के सभी मदरसे आते हैं उसमें शमसुल होदा मदरसा भी शामिल है। जानकारों के मुताबिक शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर मदरसा बोर्ड को भी पहल करना चाहिए लेकिन मदरसा बोर्ड मदरसों की मुल समस्याओं पर कभी गंभीर नहीं होता है।
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शमसुल होदा मदरसा का सीनियर सेक्शन
शमसुल होदा मदरसे में एमए तक की पढ़ाई होती है। गौरतलब है कि मदरसे में 5 से ज्यादा विषय पर एमए की पढ़ाई का इंतजाम है। कभी इस मदरसे में छात्रों की बड़ी संख्या हुआ करती थी अब वो तस्वीर दिखाई नहीं देती है। वजह साफ है कि सरकार की तरफ से इस मदरसे को पूरी तरह से नजर अंदाज कर दिया गया है। सीनियर सेक्शन में अब तीन शिक्षक मौजूद हैं। बाकी शिक्षक रिटायर्ड कर गए और उनकी जगह पर नियुक्ति नहीं हो रही है। ऐसे में इस मदरसे के वजूद पर ही अब सवाल खड़ा हो रहा है। पहले से ही जूनियर सेक्शन में टीचर नहीं है जिसके कारण छात्रों का दाखिला वहां बंद हो गया है। सीनियर सेक्शन में भी सिर्फ 3 टीचर हैं ऐसे में छात्रों की पढ़ाई कैसे होगी उसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सीनियर सेक्शन में सरकार से स्वीकृत शिक्षक का पद 9 है जिसमें 3 शिक्षक अभी काम कर रहे हैं बाकी का ओहदा वर्षों से खाली है। जूनियर सेक्शन में स्वीकृत पद 12 है जिसमें 1 टीचर अभी काम कर रहे हैं बाकी का ओहदा वर्षों से खाली है। वो एक शिक्षक भी जनवरी 2022 में रिटायर्ड हो जाएंगे।
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शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर उठ रहा है सवाल
जानकारों का कहना है कि अशोक राज पथ पर स्थित मदरसा शमसुल होदा में नए पोस्ट की स्वीकृति होनी चाहिए थी लेकिन दिलचस्प है कि जो ओहदे पहले से स्वीकृत है उन पर भी नियुक्ति नहीं की जा रही है। जानकारों के मुताबिक जब शिक्षक ही नहीं रहेंगे तो छात्रों को पढ़ाएगा कौन। मौजूदा सरकार शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने और शैक्षणिक संस्थाओं को बेहतर बनाने का दावा करती रही है। यकीनन पिछले दो दशक में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव हुआ है लेकिन सुशासन की सरकार ने बिहार के ऐतिहासिक शैक्षणिक संस्थान, मदरसा इस्लामिया शमसुल होदा का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया है। शिक्षाविदों का कहना है कि सरकार को इस पर गौर करना चाहिए।