Private Schools and Children Welfare Association

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Private Schools and Children Welfare Association का एलान 6 फरवरी से पहले नहीं खुला स्कूल तो होगा आंदोलन

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निजी स्कूल एसोसिएशन का प्रेस कॉनफ्रेंस
ऑनलाइन शिक्षा से ने सिर्फ छात्रों की परेशानी बढ़ रही है बल्कि उनकी आंखें खराब होने लगी है। ऑनलाइन शिक्षा मसले का हल नहीं है। निजी स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि एक साजिश के तहत निजी स्कूलों को बरबाद किया जा रहा है वहीं छात्रों को स्कूल जाने से रोक कर उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। जब बाजार, दुकान और सरकारी काम काज में कोरोना नहीं है तो फिर स्कूलों को खोलने से कोरोना हो जाएगा ये अपने आप में अब एक सवाल बन गया है।

निजी स्कूलों का एसोसिएशन सरकार के खिलाफ अब सड़कों पर उतने का फैसला कर रहा है। दरअसल मामला स्कूलों की बदहाली और छात्रों के भविष्य से जुड़ा है। Private Schools and Children Welfare Association का कहना है कि कोरोना की आड़ में स्कूलों को बंद रख कर छात्रों के भविष्य से सरकार खिलवाड़ कर रही है। ऑनलाइन शिक्षा से ने सिर्फ छात्रों की परेशानी बढ़ रही है बल्कि उनकी आंखें खराब होने लगी है। एसोसिएशन का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा मसले का हल नहीं है। एसोसिएशन के मुताबिक एक तरफ एक साजिश के तहत निजी स्कूलों को बरबाद किया जा रहा है वहीं छात्रों को स्कूल जाने से रोक कर उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। जब बाजार, दुकान और सरकारी काम काज में कोरोना नहीं है तो फिर स्कूलों को खोलने से कोरोना का मामला कैसे सामने आ सकता है। Private Schools and Children Welfare Association का कहना है कि सरकार अविलंब स्कूलों को खोलने का फैसला करें। एसोसिएशन ने सरकार को खबरदार किया है कि 6 फरवरी से पहले इस सिलसिले में निर्णय नहीं लिया गया तो मजबूर हो कर निजी स्कूलों के लोग सड़कों पर उतरेंगे।

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निजी स्कूलों ने सरकर से पुछा है कि स्कूल खोलने में देरी क्यों

निजी स्कूलों ने सरकार से सवाल किया है कि स्कूलों को खोलने में देरी क्यों की जा रही है। बच्चों के भविष्य के साथ सरकार क्यों खिलवाड़ कर रही है। क्या सरकार का मकसद रोजगार के लिए शिक्षकों का पलायन कराना है औ क्या निजी स्कूलों के परिसर में बिहार बोर्ड का परीक्षा आयोजित करने से कोरोना नहीं होगा और स्कूल चलाने से कोरोना हो जाएगा। Private Schools and Children Welfare Association के अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद के मुताबिक सभी निजी स्कूलों में बिहार बोर्ड का परीक्षा केंद्र जबरन कोरोना गाइडलाइन के सभी मानकों को ताक पर रख कर करवाई जा रही है जिसके लिए किसी भी निजी स्कूल को फूटी कौड़ी भी नहीं दी जा रही है। कोरोना महामारी के आड़ में सभी निजी स्कूल संचालकों को जबरन मजबूर कर उनके स्कूल में परीक्षा केंद्र बनाया जा रहा है। एसोसिएशन का कहना है कि ये किसी हाल में मुनासिब नहीं है।

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स्कूल के मामले में सरकार की गंभीरता का सवाल

निजी स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि स्कूलों के मामले पर सरकार गंभीर नहीं है। शिक्षा का बड़ा-बड़ा दावा किया जाता है लेकिन जान बुझ कर कोरोना की आड़ में छात्रों के भविष्य के साथ मजाक किया जा रहा है। Private Schools and Children Welfare Association के मुताबिक हम राज्य सरकार से पूछना चाहते हैं की क्या कोरोना महामारी सिर्फ निजी स्कूलों के संचालन के लिए ही है और आपके कामों के लिए कोई कोरोना नहीं है। एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद का कहना है कि राज्य सरकार के इस उदासीन रवैये को देखते हुए अब निजी स्कूलों के संचालक, शिक्षक और कर्मचारी राज्य व्यापी आंदोलन करने के लिए बाध्य हो गए है। एसोसिएशन के मुताबिक अगर 6 फरवरी के पहले स्कूलों को खोलने की अनुमति नहीं मिली तो पूरे 38 जिलों के निजी स्कूल संचालक, शिक्षक, शिक्षिकाएं एवं कर्मचारी पटना में विशाल आंदोलन करेंगे जिसकी जवाबदेही सरकार की होगी।

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