क्यों नहीं बन रहा है AMU Kishanganj Centre
AMU Kishanganj Centre का मामला खटाई में। अल्पसंख्यक छात्रावास में चल रही है यूनिवर्सिटी
PATNA- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी किशनगंज ब्रांच के मामले पर राज्य और केंद्र सरकार खामोश है। AMU Kishanganj Centre के लिए बिहार सरकार ने किशनगंज में 224.02 acres ज़मीन दे कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है। नीतीश सरकार यूनिवर्सिटी के लिए कुछ और गंभीर हुई तो 2013 में यूनिवर्सिटी को दो अल्पसंख्यक छात्रावास दिया ताकि फौरी तौर पर विश्वविद्यालय को चलाया जा सके। पिछले 8 सालों से AMU Kishanganj Centre उसी अल्पसंख्यक छात्रावास में चल रही है। खासबात ये है कि अल्पसंख्यक छात्रावास में यूनिवर्सिटी के छात्र एमबीए और B.Ed की पढ़ाई कर रहे हैं।
एएमयू किशनगंज सेंटर को सरकार ने किया नजर अंदाज
जानकारों ने एक बार फिर से सरकार पर सवाल खड़ा किया है। उनके मुताबिक शैक्षणिक तौर पर पिछड़े सीमांचल में AMU Kishanganj Centre को पूरी तरह से बनाया जाए तो इलाके की तरक्की में चार चांद लग सकता है लेकिन 8 सालों में भी सरकार को एएमयू सेंटर का ख्याल नहीं आना अपने आप में बेहद अफसोस का मुकाम है। बुद्धिजीवियों का कहना है कि किसी भी समाज की तरक्की का पैमाना इस बात पर निर्भर करता है कि उस समाज की तालीमी हालत क्या है। बात अगर सीमांचल की हो तो सीमांचल के चारों ज़िले- किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार शैक्षणिक दृष्टिकोण से हाशिए पर है। इस बात को सरकार भी मानती है और एएमयू प्रशासन भी। फिर आखिर क्या कारण है कि एएमयू किशनगंज सेंटर का कैंपस बनाने के मामले में सरकार के साथ-साथ एएमयू प्रशासन का रवैया बेहद खराब है।
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चुनाव में दिखाया था ख्वाब
2014 के लोकसभा चुनाव के समय पूरे सीमांचल में एएमयू किशनगंज सेंटर के लिए जबरदस्त आंदोलन हुआ था, तब सीमांचल की सियासत में सिर्फ एएमयू किशनगंज ब्रांच का मामला सुर्खियों में था। चुनाव के दरमियान सीमांचल के इलाके में आने वाला हर नेता AMU Kishanganj Centre को बनाने का ख्वाब दिखाता रहा। चुनाव खत्म हुआ और लोगों का सपना टूट गया। उसके बाद केंद्र में बनने वाली सरकार ने न ही यूनिवर्सिटी की कोई सुध ली और न ही राज्य की सरकार को ये जरूरी लगा कि एएमयू किशनगंज के मामले पर केंद्र सरकार से बात की जाए और यूनिवर्सिटी को बनाने की राह हम वार करने की कोशिश की जाए।
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सरकार से सीमांचल के लोगों की उम्मीदें
राज्य सरकार AMU Kishanganj Centre को पूरी तरह भुला बैठी है। चुनाव होते रहे और मुसलमानों के विकास और सीमांचल की तरक्की का ख्वाब दिखाया जाता रहा लेकिन जो ख्वाब लोगों के दिलों में AMU Kishanganj Centre के लिए बना हुआ था उस मामले पर सरकार ने पहल करना ज़रूरी नहीं समझा। सीमांचल की जनता आज भी नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री को उम्मीद भरी नज़रों से देख रही है। वो देख रहे हैं कि सुशासन की सरकार सीमांचल की तरक्की के लिए कुछ ठोस कदम उठाएगी। वो ये भी देख रहे हैं सब के साथ सब का विकास और सबका विश्वास का नारा सीमांचल की गलियों में भी पहुंचेगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि कोई शैक्षणिक संस्था किसी खास धर्म या जाती तक महदूद नहीं रहता है वो तो सब का होता है जहां सब बच्चे तालीम हासिल करते हैं। उन्हें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री AMU Kishanganj Centre के लिए जब संजीदा हो जाएंगे तो यूनिवर्सिटी को बनते देर नहीं लगेगी लेकिन क्या ऐसा होगा कहना मुश्किल है।
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एएमयू किशनगंज पर सरकार खामोश
बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव में सीमांचल की सियासत की गुंज पटना के सियासी गलियारों तक पहुंची, जब एम आई एम ने पहली बार सीमांचल में पांच विधानसभा की सीटों को जीत कर अल्पसंख्यकों की राजनीति करने वाली पार्टियों की बुनियाद में जलजला पैदा कर दिया। एम आई एम की जीत को हजम करना कई सियासी पार्टियों के लिए काफी मुश्किल था उतना ही बड़ा चैलेंज एम आई एम के सामने भी खड़ा है। सीमांचल के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश में लगे एम आई एम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान का कहना है कि AMU Kishanganj Centre के मामले में नीतीश कुमार को पहल करना चाहिए। अख्तरुल इमान के मुताबिक नीतीश कुमार राज्य में नए नए शैक्षणिक संस्थाओं को खोलने का फैसला कर रहे हैं जबकि पहले से कायम किशनगंज के AMU Kishanganj Centre के मामले पर सरकार खामोश है।
एएमयू किशनगंज के मामले पर एम आई एम करेगा आंदोलन
एम आई एम के मुताबिक AMU Kishanganj Centre पर केंद्र सरकार को पहल करना चाहिए लेकिन केंद्र की तरफ से कुछ नहीं किया जा रहा है ऐसे में राज्य सरकार को पहल करते हुए केंद्र पर दबाव बनाना चाहिए ताकि AMU Kishanganj Centre का मसला जल्द से जल्द हल हो सके। एम आई एम के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि सरकार अगर इस सिलसिले में ठोस कार्रवाई नहीं करती है तो एक बार फिर से AMU Kishanganj Centre को बनाने के लिए पूरे सीमांचल में सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरु किया जाएगा। अख्तरुल इमान का कहना है कि सीमांचल में हर साल लाखों लोग सैलाब के कहर से परेशान होते है। हज़ारों लोगों का सब कुछ नदी के कटाव के सबब खत्म हो जाता है लेकिन इस सिलसिले में सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती है। उनका कहना है कि सीमांचल शिक्षा के नक्शे पर आखिरी पायदान पर खड़ा है। एक यूनिवर्सिटी की ब्रांच को कायम करने का एलान हुआ लेकिन उसे ज़मीन पर उतारने की किसी तरह की कोई पहल नहीं की जा रही है।
अल्पसंख्यकों की राजनीति करने वाली पार्टियां भी खामोश
एम आई एम का कहना है कि क्या सीमांचल के लोगों को तालीम हासिल करने का हक नहीं है। अख्तरुल इमान के मुताबिक अल्पसंख्यकों पर राजनीतिक रोटियां सेंकने वाली पार्टियों ने कभी भी इस मामले को उठाना जरूरी नहीं समझा है और न ही नीतीश कुमार इस मामले में संजीदा है। ऐसे में AMU Kishanganj Centre का भविष्य उज्जवल नज़र नहीं आता है लेकिन सीमांचल के लोग AMU Kishanganj Centre को बनाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। उनका कहना है कि वो आंदोलन करेंगे और किशनगंज में AMU Kishanganj Centre के मसले को हर कीमत पर हल कराने की कोशिश करेंगे।
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