बिहार में शराबबंदी
बिहार में शराबबंदी को लेकर सरकार का कड़ा रुख
बिहार में शराब से हुई मौतों के बाद शराबबंदी के मामले पर सियासी गलियारों में शराब के मामले पर एक हंगामा खड़ा हो गया। नतीजे के तौर पर सरकार सामने आई और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ तौर से कहा की हर कीमत पर बिहार में शराबबंदी को मजबूती के साथ लागू किया जाएगा। शराबबंदी को लेकर सरकार ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए पुलिस को निर्देश दिया है कि वो मुकम्मल तरीके से शराब और शराब से जुड़े माफियाओं पर नकेल कसने में तेजी लाए। मुख्यमंत्री के एलान का असर भी राज्य में दिखाई दे रहा है। जिन पुलिस थानों की रिपोर्ट शराब के मामले पर सुस्त रही है उनको ताकीद किया गया है कि इस मामले में सुस्ती बरती गई तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शराब को लेकर चल रहा है अभियान
सरकार के सख्त रुख के बाद पूरे सूबे में शराब को लेकर व्यापक अभियान चल रहा है। इसमें शामिल सभी तरह के लोगों की गिरफ्तारी जोरों पर है। बिहार में शराबबंदी कानून लागू हुए छह साल हो गया है। विपक्ष ने शराबबंदी कानून के बहाने सरकार पर जम कर निशाना साधा तो सरकार में शामिल कई नेताओं ने शराबबंदी कानून पर पुनर्विचार करने की बात कह डाली लेकिन मुख्यमंत्री की संकल्प शक्ति के सामने किसी की नहीं चली और पहले की तुलना में शराब और शराब से जुड़े लोगों पर और तेजी के साथ कार्रवाई होनी शुरु हो गई है। इस बीच जेडीयू के नेताओं ने विपक्ष और शराबबंदी के खिलाफ बात करने वाले लोगों को समाज का दुश्मन बता दिया है।
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जेडीयू ने कहा शराबबंदी से समाज बदल रहा है
जेडीयू एम एल सी मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने कहा की सरकार शराबबंदी कानून लागू कर समाज को एक बेहतर दिशा देने की कोशिश की है। मौलाना गुलाम रसूल बलियावी के मुताबिक सरकार के सकारात्मक काम में विपक्ष को नकारात्मक चिजे दिखाई दे रही है। ये अपने आप में अफसोस की बात है।
क्या शराब छोड़ कर शिक्षा से जुड़ना गलत है।
मौलना गुलाम रसूल बलियावी का कहना है कि शराब से सबसे ज्यादा नुकसान जिस समाज को होता था उसी समाज के वोट पर विपक्ष सत्ता की कुर्सी तक पहुंचती रही है। अब सत्ता हासिल करने के लिए वो फिर से उस समाज के वोट पर सियासत कर रहे हैं। मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि दलित, महा-दलित, पिछड़े, शोषित, गरीब, अशिक्षित, मजदूर शराब के कारण सबसे अधिक प्रभावित होते थे। शराब के कारण उनकी उन्नति नहीं हो रही थी। अब शराबबंदी के बाद उस समाज में व्यापक बदलाव आ रहा है तो विपक्ष के गले से ये बात नहीं उतर रही है। मुख्यमंत्री का संकल्प है कि वो पिछड़े, दलित और गरीब तबके को मुख्य धारे में शामिल करेंगे और सरकार उस पर काम कर रही है। क्या शराब को छोड़ कर शिक्षा से जुड़ना गलत है। ये बात विपक्ष को समझ में नहीं आ रहा है लेकिन दलित, महा-दलित, पिछड़े, गरीब और शोषित समाज के बच्चे और नौजवान इस बात को समझ रहे है। वो शराब की लत को छोड़ कर आगे बढ़ना चाहते है और अपना जीवन बदलने की दिशा में वो काम कर रहे हैं। सियासी पार्टियों को लगता है कि गरीब पढ़ लिख लेगा तो उनके कहने पर वोट नहीं देगा बल्कि वो समझदार हो जाएगा और अपना फैसला खुद करने लगेगा। दरअसल यही बात उन्हें परेशान कर रही है और वो बिहार में शराबबंदी को लेकर हंगामा कर रहे हैं।
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शराब से जुड़े धंदेबाजों को हर कीमत पर सजा होगी
मौलना गुलाम रसूल बलियावी का कहना है कि अब समय बदल गया है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बदलाव हुआ है ये कोई भी व्यक्ति अपनी खुली आंखों से देख सकता है। हां जो देखना नहीं चाहे उसे तो उजाले में भी अंधेरा ही दिखाई देगा। मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने कहा की शराबबंदी के मामले पर मुख्यमंत्री ने सारी बाते साफ कर दी है। जो लोग इस काले धन्दे से जुड़े है, सरकार उनको नहीं छोड़ने वाली है। पुलिस अपना काम कर रही है और शराब से जुड़े धंदेबाजों को हर कीमत पर सजा होगी। विपक्ष को ये बात समझ में नहीं आ रही है तो आने वाले दिनों में राज्य का दलित, पिछड़ा, शोषित और गरीब समाज उन्हें समझा देगा।
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