Bihar ki Masjid

 

Bihar ki Masjid

 

Bihar ki Masjid के हालात

PATNA- बिहार में मस्जिदों के इमाम मुश्किल हालात का सामना करने पर मजबुर हैं। दरअसल लॉकडाउन और कोरोना के कारण इबादत खानों को लगातार बंद रखा गया है। नतीजे के तौर पर मस्जिदों की आमदनी भी बंद हो गई है। आमदनी नहीं है तो पेशइमाम और मोअज्जिन की तनख्वाहों का मसला मस्जिद की कमिटी के सामने खड़ा है। कुल हिंद आइमा मसाजीद बिहार, इमामों का संगठन है। उस संगठन के अध्यक्ष मौलाना सज्जाद अहमद नदवी का कहना है कि अब सरकार ने सब कुछ खोलने की इजाजत दे दी है ऐसे में मस्जिद, मंदिर, गुरुद्वारे को बंद रखना मुनासिब नहीं है। मौलाना सज्जाद अहमद का कहना है कि इबादत खानों को लगातार बंद रखने से उससे जुड़े लोग दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं जिस पर किसी का ध्यान नहीं है।

 

Bihar ki Masjid
Jama Masjid, Patna Junction

 

मस्जिद की आमदनी

कुल हिंद आइमा मसाजीद ने Bihar ki Masjid के लिए राज्य के वक्फ बोर्ड से अपील किया है कि वक्फ बोर्ड पेशइमाम और मोअज्जिन के तनख्वाहों के मामले पर पहल करे। मौलाना सज्जाद अहमद का कहना है कि इस तरह की मांग काफी समय से की जारही है लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है। पटना हाई कोर्ट वक्फ स्टेट माजार के सेक्रेटरी मोहम्मद अज़ीम का कहना है कि हाई कोर्ट मस्जिद और माजार के महीने की आमदनी 80 हज़ार रुपया है लेकिन लॉकडाउन में बंदी होने के कारण अभी आमदनी के नाम पर कुछ भी नहीं है। जबकि हमारा महीने का खर्च 65 से 70 हज़ार रुपया है। उनका कहना है कि मस्जिद और माजार को बंद रखने के कारण लोग आ नही रहे हैं ज़ाहिर है आमदनी कहां से होगी ऐसे में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है।

 

 

Bihar ki Masjid
Maulana Sajjad Ahmad Nadvi, President, Kul Hind Aema Masajid Bihar

 

 

इमाम और मोअज्जिन

पटना में मस्जिदों की संख्या करीब एक सौ है। इबादत खानों के बंद होने का असर शहर की तमाम मस्जिदों पर पड़ा है। मस्जिद से जुड़े लोग खासतौर से पेशइमाम और मोअज्जिन की हालत ज्यादा खराब है। जानकारों का कहना है कि पूरे देश में आजाद मदरसे और मस्जिदों से जुड़े लोग आर्थिक तनाव में अपना दिन काट रहे हैं। Bihar ki Masjid लोगों की मदद से चलता है। वक्फ बोर्ड की तरफ से चंद मस्जिदों के इमाम व मोअज्जिन को मामूली वेतन दी जाती है।

 

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कुछ राज्यों में इमाम को सुविधा मिलती है

Bihar ki Masjid के मामले में वक्फ बोर्ड की तरफ से मदद पहुंचाई जा सकती है। देश के कुछ राज्यों में वक्फ बोर्ड की तरफ से मस्जिदों के इमाम और मोअज्जिन को तनख्वाह दी जा रही है। केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और हरियाणा जैसे राज्यों में वक्फ बोर्ड ने इस तरह की पहल किया है। बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ बोर्ड ने फैसला किया है कि वक्फ बोर्ड से रजिस्टर्ड मस्जिदों के पेशइमाम और मोअज्जिन को तनख्वाह दी जाएगी।

 

 

Bihar ki Masjid
Mohammad Irshadullah, Chairman, Bihar State Sunni Waqf Board

 

वक्फ बोर्ड से रजिस्टर्ड मस्जिद

बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ बोर्ड से करीब 1,057 मस्जिद रजिस्टर्ड है। बिहार विधनसभा चुनाव के समय वक्फ बोर्ड ने एलान किया था कि वक्फ बोर्ड से रजिस्टर्ड मस्जिदों के इमाम के लिए हर महीने 15 हज़ार रुपया और मोअज्जिन को 10 हज़ार रुपया तनख्वाह दिया जाएगा। सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन मोहम्मद इरशादुल्लाह का कहना है कि फिलहालत वक्फ स्टेट की तरफ से रजिस्टर्ड मस्जिदों के इमाम को तनख्वाह के नाम पर कुछ रकम दी जाती है लेकिन वक्फ बोर्ड ने तय किया है कि वो वक्फ से रजिस्टर्ड तमाम मस्जिदों के इमाम और मोअज्जिन को वेतन देने की शुरुआत करेगें। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री को एक प्रसताव भेजा गया है।

 

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सुन्नी वक्फ बोर्ड

बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ बोर्ड Bihar ki Masjid के मामले में संजीदा होने की बात करता है। गौरतलब है कि करीब 105 मस्जिदों के इमाम और मोअज्जिन को वक्फ बोर्ड की तरफ से एक मामूली रकम तनख्वाह के नाम पर दी जा रही है। वक्फ बोर्ड ने इमाम को तनख्वाह देने का ऐलान कई महीना पहले किया था लेकन अब तक कोई खास कार्वाई नहीं हो सकी है। पटना हाई कोर्ट वक्फ स्टेट के सेक्रेटरी मोहम्मद अजीम का कहना है की वक्फ बोर्ड की तरफ से मस्जिदों के इमाम को तनख्वाह देने की शुरुआत हो जाए तो मस्जिदों के लिए ये एक बड़ा काम होगा।

 

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कितना खर्च होगा

बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ बोर्ड के मोताबिक 1,057 रजिस्टर्ड मस्जिदों के इमाम को 15 हज़ार और मोअज्जिन को 10 हज़ार रुपया हर महीना तनख्वाह दिया जाएगा। अब उस रकम का हिसाब लगाएं तो वक्फ बोर्ड को सालाना इस मंसूबे पर 31 करोड़ 71 लाख रुपया का खर्च आएगा। अब सवाल है कि चार हज़ार करोड़ से ज्यादा की मालियत रखने वाला वक्फ बोर्ड आज भी सरकार के अनुदान के भरोसे चलता है ऐसे में वक्फ बोर्ड इमाम और मोअज्जिन के लिए तनख्वाहों का इंतज़ाम कर सकेगा इस पर जानकारों को संदेह है। फिर भी वक्फ बोर्ड की इस कोशिश की आलीम-ए-दिन ने सराहना की है। जानकारों के मोताबिक वक्फ बोर्ड की तरफ इस तरह के बातें पहले भी होती रही है लेकिन उसका फायदा आज तक किसी को नहीं मिला है वहीं मज़हबी रहनुमाओं का कहना है कि सरकार की तरफ से इबादत खानों को खोलने की इजाजत मिल जाए उसी से उनका मसला हल हो जाएगा।

 

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1 COMMENT

  1. السلام علیکم ورحمۃ اللہ وبرکاتہ
    ہمارے لئے یہ بہت ہی اہم موضوع تھا کہ اس پر ہم گفتگو کریں اور ان کی جڑوں میں ان کی تہہ تک پہنچ کر کے ان کے مسئلے کو وسیع پیمانے پر سمجھیں ،اس کے حل کو تلاش کریں یقینا آپ نے یہ کام کرکے بہت بڑا کام کیا ہے ،یاد رکھیے یہ ہمارے لئے سرمایہ حیات ہے اگر یہ لوگ ٹھیک نہ رہیں گے مساجد اور امام صحیح نہیں رہیں گے تو پھر ہمارے
    ، ہمارا شعار بچانا مشکل ہو جائے گا

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