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Economically Backward Class

Economically Backward Class

 

Economically Backward Class

 

जाति आधारित जनगणना से होगा Economically Backward Class को फायदा

 

PATNA- भारत सरकार 10 वर्षों में एक बार जनगणना कराती है ताकि देश की जनसंख्या की जानकारी हासिल हो सके और उसके आधार पर सरकार देश के विकास के लिए अपनी रणनीति तय कर सके। जनसंख्या के मुताबिक सरकार लोगों के विकास का काम भी करती है और भविष्य की तैयारी भी करती है। जनगणना से Economically Backward Class के लोगों को भी फायदा होता है। सरकार उनके विकास के लिए भी योजनाएं शुरु करती है। वर्ष 2021 में जनगणना प्रस्तावित है। इस बार बिहार में जातीय जनगणना कराने की मांग जोर से उठ रही है। विपक्ष के साथ-साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जातीय जनगणना कराने पर जोर दिया है। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करने वाले हैं। हालांकि सत्ता पक्ष में शामिल बीजेपी का इस मामले पर अलग राय है। उधर मुख्यमंत्री के नेतृत्व में विपक्ष प्रधानमंत्री से मिलने की योजना बना रहा है ताकि जातीय जनगणना का रास्ता हम वार किया जा सके।

 

Bihar Legislative Assembly

 

जातीय जनगणना की मांग

बिहार में जातीय जनगणना की मांग पहले से की जाती रही है। 2021 में जनगणना प्रस्तावित है इसलिए ये मुद्दा सियासी और समाजी तौर पर फिर से उठने लगा है। जातीय जनगणना की हिमायत में नीतीश कुमार के साथ-साथ विपक्ष का कहना है कि इससे पिछड़ी जातियों की आर्थिक और सामाजिक विकास का रास्ता हम वार होगा। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के मुताबिक अगर सरकार जातीय जनगणना नहीं कराती है तो पिछड़ी जातियों की तरक्की का सही आकलन नहीं हो सकेगा। मुख्यमंत्री को लिखे गए खत में तेजस्वी प्रसाद यादव ने सिर्फ पिछड़े और अति पिछड़े हिंदु जातियों की गिनती कराने की बात की है।

 

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मुख्यमंत्री को लिखे खत में सिर्फ हिंदु जातियों की गिनती की बात

 

तेजस्वी प्रसाद यादव के उस खत पर ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज ने सख्त एतराज किया है। पसमांदा मुस्लिम महाज के अध्यक्ष और पूर्व सांसद अली अनवर का कहना है कि मुस्लिम समाज में भी ओबीसी, Economically Backward Class जातियां है, ऐसे में पसमांदा मुसलमानों की बात नहीं करना एक भंयकर गलती है। अली अनवर का कहना है कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से मिलने की बात है और ऐसे में विपक्ष की तरफ से मुख्यमंत्री को लिखे गए खत में सिर्फ हिंदु जातियों की गिनती की बात कहना एक बड़ी चुक है जिसको दुरुस्त किया जाना चाहिए।

 

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जातीय जनगणना कराने के लिए बिहार सरकार ने किया है प्रस्ताव पास

 

जातीय जनगणना के मुद्दे पर सियासत होना कोई नई बात नहीं है। इस मांग को समाज के विभिन्न वर्गों ने हिमायत किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बात को कई बार कहा है कि 2019 में बिहार विधानमंडल में और 2020 में बिहार विधानसभा में जातीय जनगणना कराने के लिए सरकार ने प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेजा था लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। गौरतलब है कि देश में पहली बार 1931 में जातीय जनगणना कराई गई थी। उसके बाद से कई बार ये मामला सुर्खियों में रहा लेकिन किसी ना किसी कारण से जातीय जनगणना का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बिहार में एक बार फिर से ये मुद्दा सुर्खियों में है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही आरजेडी जाति आधारित जनगणना कराने पर जोर दे रही है। विपक्ष का कहना है कि जातीय जनगणना कराने से इस बात का पत्ता चलेगा किस जाति की वर्तमान स्थिति क्या है ताकि पिछड़ी जाति, ओबीसी और Economically Backward Class के लिए सरकार की तरफ से उनकी स्थिति को मजबूत बनाया जाए।

 

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ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज

ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज का कहना है कि मुसलमानों की पिछड़ी जातियों की स्थिति चिंताजनक है। मुस्लिम समाज में ओबीसी और Economically Backward Class की स्थिति की जानकारी होना जरूरी है। पसमांदा मुस्लिम महाज के अध्यक्ष अली अनवर के मुताबिक पिछड़ा, अति पिछड़ा और पसमांदा मुसलमानों की आर्थिक और सामाजिक हालत का आकलन जातीय आधारित जनगणना से होगा। उनका कहना है कि सरकार को जहां जातीय आधारित जनगणना करानी चाहिए वहीं उसमें मुस्लिम जातियों की भी गिनती होनी चाहिए। अली अनवर के मुताबिक मुस्लिम जातियों के लिए विपक्ष की तरफ से किसी तरह की कोई मांग नहीं करना बेहद अफसोसनाक है।

 

मुस्लिम संगठनों की हिमायत

 

ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल के उपाध्यक्ष मौलना अनीसुर्रहमान कासमी का कहना है कि मुसलमानों की ओबीसी और Economically Backward Class की हालत पहले से ही खराब है। वो शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक मोर्चे पर हाशिए पर हैं। इस बात का खुलासा राजेंद्र सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में हो चुका है। ऐसे में जातीय जनगणना जरूर होना चाहिए ताकि उनकी संख्या और स्थिति दोनों साफ हो और सरकार की उन्हें मदद मिल सके। मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी का कहना है कि कम से कम एक बार सरकार जाति की गिनती जरूर कराए ताकि सुरते हाल का सही अंदाज़ा हो सके। मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी के मुताबिक इससे जहां सरकार को काम करना आसान होगा वहीं हाशिए पर खड़े लोग भी अपनी भलाई और विकास के लिए संजीदा कदम उठाएंगे।

 

ऑल इंडिया युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा

ऑल इंडिया युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा दो दशक से लगातार दलित मुसलमानों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है। मोर्चा संविधान की धारा 341 में संशोधन की मांग कर दलित मुसलमानों को उस में शामिल कराने की बात करता है। युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व एमपी डॉ. एजाज अली का कहना है कि इस बार ये एक अच्छा मौका है जब जातीय जनगणना कराने की मांग की जा रही है। डॉ एजाज के मुताबिक उनकी तंज़ीम लगातार कई वर्षों से इस मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठाती रही है। डॉ एजाज का कहना है कि सरकार को इस बार जरूर जाति के आधार पर जनगणना कराना चाहिए। युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा का कहना है कि अगर सरकार ऐसा करती है तो देश के ओबीसी और Economically Backward Class को समझने और उनके लिए काम करने का रास्ता हम वार होगा। युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा के मुताबिक जाति की गिनती होती है तो न सिर्फ कमज़ोर जातियों की सही स्थिति की जानकारी मिलेगी बल्कि देश के तमाम पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए सरकार को काम करने का मौका मिलेगा।

 

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