Education in Islam in Hindi
Education in Islam in Hindi: शिक्षा को इस्लाम में फर्ज का दर्जा हासिल है
इस्लाम के मुताबिक शिक्षा हासिल करना फर्ज है। पुरुष हो या महिला शिक्षा को समान रुप से दोनों पर फर्ज किया गया है। फर्ज का मतलब होता है हर हाल में उस हुक्म को पूरा करना। यानी उस शख्स और व्यक्ति के लिए शिक्षा हासिल करना जरूरी है जो इस्लाम मजहब को मानता है। तालीम हासिल करने की राह में अगर किसी की मौत हो जाए तो उसे इस्लाम ने शहीद का दर्जा दिया है। पवित्र क़ुरआन में कहा गया है कि शिक्षित और अशिक्षित को एक खाने में नहीं रखा जा सकता है। Education in Islam in Hindi
शिक्षा हासिल करने के लिए हर कीमत पर जद्दोजहद करने की बात कही गई है। शिक्षित व्यक्ति ही इस कायनात के बारे में और इस कायनात को बनाने वाले मालिक के बारे में समझने की कोशिश कर सकता है या फिर महसूस कर सकता है। शिक्षा के बिना व्यक्ति न ही समाज और कायनात को समझ सकता है और न ही अपने मालिक की खूबियों को महसूस कर सकता है।
चौदह सौ साल पहले इस्लाम ने तालीम को बताया था सबसे अहम
तालीम कितना अहम है इसका जिक्र इस्लाम ने चौदह सौ साल पहले ही पुरी तरह से स्पष्ट कर दिया था। 1400 साल पहले शिक्षा की अहमियत पर इतना जोर देना इस बात की तरफ इशारा करता है की इस्लाम में शिक्षा को लेकर किस हद तक कोशिश करने की हिदायत दी गई है। यही कारण है की इस्लाम के उसूलों पर अमल करने वाले शुरुआत के लोगों ने तालीम की दुनिया में इंकलाब खड़ा कर दिया था। महिलाएं भी शिक्षित थी और अपने अधिकारों को लेकर आज की महिलाओं से कहीं ज्यादा जागरूक थी। Education in Islam in Hindi
आरंभ में मस्जिद शिक्षा का केंद्र था
जब स्कूल नहीं था तो इस्लाम ने मस्जिदों में ही शिक्षा का इंतज़ाम किया था, बाद में मदरसों की स्थापना की गई और मदरसों में शिक्षा का आरंभ हुआ। बगैर किसी भेद भाव के इस्लाम के अनुयाई शिक्षा हासिल करते थे। धर्म यानी दिन की शिक्षा तो लगभग सब प्राप्त करते थे। यही वजह है की इस्लाम के मानने वालों में साक्षरता का दर काफी अच्छा था लेकिन वक्त बदलने के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थान और शिक्षा प्राप्त करने का तरीका बदल गया। अंग्रेज़ों के शासन काल में स्कूलों की स्थापना शुरु हुई और अंग्रेज़ी तालीम पर जोर देने के साथ-साथ शिक्षा का पूरा प्रणाली बदल दिया गया।
शिक्षा दो भागों में बांट दी गई, एक दीन और दुसरा दुनिया
शैक्षणिक मामले में आया बदलाव इस्लाम के मानने वालों को काफी प्रभावित किया। स्कूलों की व्यवस्था लागू होने और आधुनिक तालीम के आरंभ होने से शिक्षा दो खानों में बंट गई।
एक को दीन की तालीम कहा गया और दूसरे को दुनिया की तालीम। हालांकि इस्लाम के नजदीक शिक्षा का मतलब सिर्फ शिक्षा से बताया गया है। वहां ना ही दिन और दुनिया का कोई संकल्पना है और ना ही तालीम में किसी तरह की सुस्ती और लापरवाही को सही माना गया है। Education in Islam in Hindi
धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना
वक्त के साथ-साथ इस्लाम के मानने वालों ने शिक्षा हासिल करने के कई माध्यम की स्थापना की है जैसे- मकतब, दिनी मदरसे, दारूल उलूम देवबंद, दारूल उलूम नदवा जैसे एदारों में दीन की तालीम का काफी बेहतर इंतज़ाम किया गया। इसके साथ-साथ स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटियों में इस्लाम के मानने वालों ने तालीम की समां रौशन की है।
इस्लाम शिक्षा को सब के लिए ज़रुरी मानता है
इस्लाम शिक्षा प्राप्त करने और शिक्षा को आम करने की बात करता है। शिक्षा के मामले में इस्लाम किसी भेद भाव को पसंद नहीं करता है। हालांकि शिक्षा को लेकर भेद भाव एक आम बात है लेकिन इस्लाम उसे खारिज करता है। इस्लाम के नजदीक तालीम सिर्फ व्यवसाय या नौकरी हासिल करने तक महदूद नहीं है। इस्लाम तालीम को एक बेहतर इंसान बनने, कायनात के बनाने वाले मालिक की पहचान करने और उसे महसूस करने के साथ-साथ भाईचारे का माहौल स्थापित करने पर जोर देता है। Education in Islam in Hindi
इस्लाम के मुताबिक तालीम अमन व शांति का मार्ग स्थापित करने समेत हक की बात कहने और ग़लत काम को रोकने का नाम शिक्षा बताता है। शिक्षा के मामले में इस्लाम किसी भी भेदभाव को पसंद नहीं करता है। पुरुषों और महिलाओं को शिक्षा में एक समान अवसर देता है, एक समान अधिकार देता है। इस्लाम को मानने वाले कुछ लोग भले ही महिलाओं की तालीम में भेदभाव करते हो लेकिन इस्लाम ने शिक्षा को फर्ज बताया है। और किसी भी व्यक्ति से शिक्षा के मामले में भेद भाव करने को पूरी तरह से गलत मानता है। महिलाओं को इस्लाम ने शिक्षा की पूरी आजादी दी है। लेकिन आज समाज के पढ़े लिखे लोग भी शिक्षा में भेदभाव करते नजर आते हैं। हालांकि तालीम को फर्ज बताने का मकसद ये है कि शिक्षा हासिल करना एक ऐसा काम है जिसको करना ही करना है। Education in Islam in Hindi
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