Library Urdu Books
गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी देश की एकमात्र सरकारी उर्दू लाइब्रेरी है।
PATNA- उर्दू किताबों की जब भी बात होती है उर्दू आबादी की नजरों के सामने पटना में कायम गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी की तस्वीर घुमने लगती है। ये Library Urdu Books का खजाना अपने अंदर समेटे हुई है। आज़ादी से पहले कायम की गई उर्दू लाइब्रेरी के पास 40 हज़ार से ज्यादा किताबें मौजूद है। ये देश की अकेली लाइब्रेरी है जो उर्दू के नाम से मनसूब है और पूरी तरह से सरकारी है। बिहार सरकार इस लाइब्रेरी के विकास के सिलसिले में गंभीर होने का दावा करती रही है लेकिन हकीकत उससे अलग है।
उर्दू लाइब्रेरी में नायाब उर्दू की किताबें हैं मौजूद
गवर्नमेंट उर्दू Library Urdu Books के रख-रखाव का खास ख्याल रखती है। यहां नायाब किताबें मौजूद है तो कम्पडीशन की तैयारी के लिए भी लाइब्रेरी ने छात्रों की सुविधाओं का खास ख्याल रखा है। लाइब्रेरी में बगैर किसी भेद भाव के सभी समुदाय के छात्र पढ़ने आते हैं। पटना के शिक्षा हब माने जाने वाला इलाका अशोकराज पथ पर स्थित उर्दू लाइब्रेरी खुदा बख्श लाइब्रेरी से बिल्कुल करीब है और उर्दू अकादमी के परिसर में है।
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लाइब्रेरी में दस पोस्ट हैं स्वीकृत
लाइब्रेरी में दस पोस्ट स्वीकृत है जिसमें आठ कर्मचारी रिटायर्ड हो चुके हैं। बाकी बचे दो कर्मचारी मार्च 2023 में रिटायर्ड हो जाएंगे। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रखने वाला उर्दू लाइब्रेरी कर्मचारियों की कमी का सामना कर रहा है। लाइब्रेरी के पूर्व कर्मचारियों का कहना है कि अगर लाइब्रेरी में कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई तो आने वाले दिनों में इस लाइब्रेरी के वजूद पर ही सवाल खड़ा हो जाएगा।
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गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी में नहीं हो रही है किताबों की खरीदारी
बिहार की नीतीश सरकार पढ़ाई लिखाई और लाइब्रेरी की स्थापना के सिलसिले में बड़ी-बड़ी बाते करती रही है। कभी उर्दू अकादमी ने ये एलान किया था की सभी ज़िलों में उर्दू लाइब्रेरी की स्थापना की जाएगी लेकिन वो एलान पानी का बुलबुला साबित हुआ। राजधानी पटना में स्थित गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी, उर्दू आबादी की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करती रही है लेकिन वक्त पर किताबों की खरीदारी नहीं होती है। जानकार कहते हैं कि ये Library Urdu Books का जखीरा अपने अंदर रखती जरूर है लेकिन आज़ादी से पहले उर्दू के नाम पर बनाई गई इस लाइब्रेरी की हालत आज काफी बेहतर होनी चाहिए थी जो बदकिस्मती से नहीं है। जानकारों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस तरफ ध्यान देने की अपील की है साथ ही सरकार से ये भी मांग किया है कि लाइब्रेरी को जल्द से जल्द गठन किया जाए ताकि लाइब्रेरी का काम ठीक तरह से चल सके।
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लाइब्रेरी के भवन पर ध्यान देने की सरकार से मांग
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए बड़े-बड़े भवन का निर्माण करा रहे हैं। अंजुमन इस्लामिया हॉल, पटना हाईकोर्ट मजार के अलावा कई जगहों पर भवन निर्माण कराने का मंसूबा है। कहते हैं कि समाज के विकास का रास्ता शिक्षा के रास्ते से हो कर गुजरता है। शैक्षणिक विकास से ही समाज की तरक्की का ख्वाब पूरा हो सकता है। ऐसे में सबसे ज्यादा जरुरत शिक्षा और शिक्षा से जुड़े भवन की मरमत कराने की है लेकिन इस सिलसिले में सरकार बहुत ज्यादा गंभीर नज़र नहीं आती है। गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी की इमारत छात्रों को काफी फायदा पहुंचा सकती है लेकिन हालत ये है की लाइब्रेरी की दीवारें खस्ताहाल होने लगी है। बुद्धिजीवियों का कहना है की लाइब्रेरी स्वास्थ्य समाज की निशानी होती है ऐसे में सरकार को उर्दू लाइब्रेरी के सिलसिले में गंभीर होने की जरूरत है।
गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी को स्थानीय लोग करते है नज़र अंदाज
जानकारों का कहना है कि किसी सूबे की तरक्की इस बात से भी नापी जाती है कि वहां पढ़ने लिखने वाले संस्थाओं और लाइब्रेरियों की क्या सुरते हाल है। पढ़ा लिखा समाज लाइब्रेरी की जरूरतों को महसूस करता है और उसके रख-रखाव पर खास ध्यान देता है। गवर्नमेंट उर्दू Library Urdu Books के मामले में गर्व करती है लेकिन लाइब्रेरी के लोगों को अफसोस तब होता है जब उर्दू के चाहने वालों की तरफ से गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी को नज़र अंदाज किया जाता है।
लाइब्रेरी की कमेटी का गठन नहीं होने से हो रहा है लाइब्रेरी को नुकसान
2008 में गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी के विकास के लिए सरकार की तरफ से एक मुश्त 50 लाख रुपया दिया गया था। वो पैसा लाइब्रेरी में कई वर्षों तक यूं ही पड़ा रहा। 2016 में उस वक्त के लाइब्रेरी के चेयरमैन ने 50 लाख में 26 लाख रुपया सरकार को वापस कर दिया। यानी सरकार ने लाइब्रेरी के विकास के लिए पैसा तो दिया लेकिन लाइब्रेरी के तत्कालीन प्रशासन पैसा खर्च करने के बजाए सरकार को पैसा वापस कर दिया। मौजूदा वित्तीय वर्ष में लाइब्रेरी ने 32 लाख 26 हज़ार 776 रुपया सरकार से मांगा है। इस मांग को सरकार ने मंज़ुर कर लिया है। उम्मीद है कि पैसा मिलने के बाद लाइब्रेरी की मरमत का काम होगा और लाइब्रेरी के लिए नई किताबें भी खरीदी जाएगी। लेकिन गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी की कमेटा का गठन नहीं होने का असर लाइब्रेरी के कामों पर साफ तौर से देखा जा रहा है।
गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी से होता है छात्रों को फायदा
जानकारों के मुताबिक गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी ऐसी जगह पर स्थित है जिससे न सिर्फ उर्दू जानने वाले लोग बल्कि पटना विश्वविद्यालय के छात्र एवं छात्राओं को भी काफी फायदा होता है। प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र लाइब्रेरी के रिडिंग रूम में आकर पढ़ते हैं लेकिन सुविधाओं की लाइब्रेरी में कमी है जिसका सामना छात्रों को करना पड़ता है। रिडिंग रूम में छात्रों के लिए सुविधा मुहैया कराया जाए और प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए लाइब्रेरी में किताबें मौजूद हो तो छात्रों को उसका काफी फायदा होगा। जानकारों ने सरकार को इस सिलसिले में गौर करने और लाइब्रेरी को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ने की अपील की है।
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