This article On Madarsa Islamia Shamsul Huda Patna
शिक्षको की बहाली नही होने के कारण बिहार का शमसुल होदा मदरसा बंद होने के कागार पर।
पटना के अशोकराज पथ पर स्थित मदरसा इस्लामिया शमसुल होदा बिहार के उन मदरसों में से एक है जिस पर बिहार के लोग फख्र करते रहे हैं। कभी इस मदरसे से शिक्षा हासिल कर यहां के छात्र आई ए एस बने, प्रोफेसर बने और बड़े बड़े आलीम-ए-दिन बने। पंजाब के पुर्व डीजीपी इज़हार आलम, आई ए एस अहमद हुसैन, बिहार के पुर्व मंत्री अब्दुल गफुर, प्रसिद्ध शिक्षाविद और मीथिला विश्वविद्दालय के वीसी रहे डॉ अब्दुल मोगनी, प्रसिद्द लेखक और बंगाल के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष रहे ज़फर ओगानवी, पुर्व लेबर कमीशनर शाहनवाज़ खान, जेएनयू में प्रोफेसर, ख्वाजा एकरामुद्दीन, बिहार मदरसा बोर्ड के पुर्व सेक्रेटरी जाहिद हुसैन के अलावा ऐसे छात्रों की एक लंबी फैहरिस्त है जो ना सिर्फ शमसुल होदा मदरसा और बिहार का नाम रौशन किया बल्कि देश की सेवा कर अपनी एक अलग पहचान बनाई।
शमसुल होदा मदरसे में दाखिला लेना छात्रों का ख्वाब हुआ करता था।
एक वक्त था जब इस मदरसे में हज़ारों छात्र तालीम हासिल करते थे, इस मदरसे में दाखिला लेना छात्रों का ख्वाब हुआ करता था लेकिन अब यहां पढ़ने वाले छात्रो की तादाद पांच सौ पर आकर रुक गई है। शमसुल होदा मदरसा को जस्टिस सैयद नुरूलहोदा ने 1912 में कायम किया था। शमसुल होदा मदरसा आज़ादी की लड़ाई में भी अपना योगदान दे चुका है। 1922 में शमसुल होदा मदरसा के छात्रों का इमतेहान लेने के लिए बिहार मदरसा एक्जामिनेशन बोर्ड बनाया गया यही बोर्ड आगे चल कर 1978 में बिहार स्टेट मदरसा एजुकेशन बोर्ड बना जिस के अंतगर्त राज्य के तमाम मदरसे आते हैं।
22 नवंबर 2012 में Madarsa Islamia Shamsul Huda Patna के सौ साल पुरा होने पर एक बडे़ कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिरकत की और मदरसे के तमाम मसले को हल करने का एलान किया था। नीतीश कुमार के एलान के बाद मदरसे में एक सौ बेड का आलीशान अल्पसंख्यक छात्रवास बनाया गया। जिसमें मदरसे के छात्र रहते है और अपनी पढ़ाई करते है लेकिन मदरसे में शिक्षकों की बहाली का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। मदरसा के लोगों ने बार बार शिक्षा विभाग को इसकी याद दिलाई लेकिन शिक्षा विभाग की तरफ से इस सिलसिले में अब तक कुछ भी नही हो सका है।
पहली क्लास से एम ए तक की होती है पढ़ाई।
शमसुल होदा मदरसा में पहली क्लास से एम ए तक की पढ़ाई होती है। इसके लिए मदरसे में दो अलग अलग सेक्शन है। एक को जुनियर सेक्शन कहते है और दुसरे को सीनियर सेक्शन। अब यहां की शिक्षकों की संख्या पर नज़र डालिए..।
जुनियर सेक्शन में क्लास एक से दशवी तक की पढ़ाई होती है और एक से दशवी तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए मदरसे में फिलहाल सिर्फ एक शिक्षक मौजुद है बाकी के पोस्ट पर काम करने वाले शिक्षक रिटायर होते गये और उस पोस्ट पर किसी की बहाली नही हो सकी।
पांच सौ छात्र को पढ़ाने के लिए महज़ चार टीचर मौजुद।
सीनियर सेक्शन में बारहवी (मौलवी) से एम ए (फाज़ील) तक की पढ़ाई होती है। बारहवी से एम ए तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए फिलहाल यहां तीन टीचर मौजुद है। प्रिंसिपल को शामील कर लें तो सीनियर सेक्शन में सिर्फ चार लोग मौजुद है। शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
शमसुल होदा मदरसे में पांच से ज्यादा विषय पर एम ए की पढ़ाई होती है
तारीख इस्लाम, उर्दू, फारसी, अरबी अदब, हदीस, फिकाह इत्यादी विषय पर एम ए की पढ़ाई होती है। शिक्षा से जुड़े लोगों का कहना है कि शिक्षक नही होगें तो मदरसे की स्थिति और भी खराब हो जाएगी। पटना के मशहुर संस्थान साइंस कॉलेज के ठिक सामने मदरसा इस्लामिया शमसुल होदा है। पटना के अशोकराज पथ को एजुकेशन हब के तौर पर देखा जाता है। कॉलेज, कोचिंग संस्थान और छात्रों की बड़ी संख्या इसी इलाकें में रहती है, पढ़ाई लिखाई का इस इलाकें में पुरा माहौल है, यही वजह है की कभी शमसुल होदा मदरसा में तालीम हासिल करने वाले छात्र बिहार लोक सेवा आयोग, भारतीय प्रशासनिक सेवा, नेट और दुसरे इमतेहान में कामयाब होते थे। ये मदरसा गरीब छात्रों को शिक्षा हासिल करने का बेहतर मौका मुहैया कराता है लेकिन मदरसे में बुनियादी सुविधाओं की कमी और शिक्षकों के नही होने से मदरसे के वजुद पर ही अब सवालिया निशान लगता जा रहा है।
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