Madarsa Survey
Madarsa Survey: मदरसों का सर्वे सुर्खियों में, मुस्लिम संगठनों ने किया सख्त नाराजगी का इजहार
यूपी में हो रहे मदरसों के सर्वे पर बिहार की मुस्लिम संगठनें सख्त नाराज है। इमारत-ए-शरिया बिहार का कहना है कि एक बार फिर से मदरसों का मामला उठा कर मदारीस को बदनाम करने की कोशिश शुरु की गई है। इमारत-ए-शरिया के मुताबिक स्कूलों का सर्वे नहीं होता है जबकि स्कूल लोगों के टैक्स से चलता है। सरकार मदरसों का सर्वे करा रही है जबकि मदरसे लोगों के चंदे से चलते है। ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल का कहना है कि सर्वे का मामला मदरसों को परेशान करने के लिए किया जा रहा है। |
मदरसा सर्वे का मामला सुर्खियों में है। यूपी के मदरसों का सर्वे कराया जा रहा है। इस बात को लेकर बिहार की मुस्लिम संगठनें सख्त नाराज है। इमारत-ए-शरिया बिहार का कहना है कि स्कूलों का सर्वे नहीं होता है जबकि स्कूल लोगों के टैक्स से चलता है लेकिन मदरसों का सर्वे कराया जा रहा है। हालांकि निजी मदरसे लोगों के चंदे से चलते है। इमारत-ए-शरिया के मुताबिक मदरसों का सर्वे दरअसल मदरसों के लोगों को और खासतौर से अल्पसंख्यक समाज को परेशान करने के लिए किया जा रहा है। गौरतलब है कि यूपी में मदरसों का सर्वे कराया जा रहा है। इमारत-ए-शरिया बिहार के नायब अमीरे शरीयत मौलना शमशाद रहमानी का कहना है कि मदरसों ने देश की आजादी में बड़ी भूमिका अदा की है। आज मदरसे उन इलाकों में भी तालीमी खिदमात अंजाम दे रहे हैं जहां कोई शैक्षणिक संस्था नहीं है। लोगों के चंदे से चलने वाले मदरसे गरीब बच्चों को साक्षर बनाने का एक बड़ा माध्यम है। उनका कहना है कि मदरसों पर सरकार की तीखी नजर है। जाहिर है Madarsa Survey का काम मदरसों को बदनाम करने की एक साजिश है।
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मदरसों का रहा है ऐतिहासिक भूमिका
इमारत-ए-शरिया बिहार के कायम मुकाम नाजिम मौलाना शिब्ली कासमी का कहना है कि देश के शिक्षा में मदरसों का ऐतिहासिक भूमिका है। आजादी से लेकर अब तक मदरसों ने तालीम के मैदान में अपनी अद्भुत योगदान दिया है। सिर्फ बच्चों को पढ़ाना मदरसों का मकसद नहीं है। मदरसे बच्चों की बेहतर तरबीयत के साथ-साथ उन्हें एक अच्छा और जिम्मेदार नागरिक बनाते हैं। भाईचारे का फरोग भी मदरसों का मकसद है। ऐसे में कोई सरकार मदरसों को टारगेट करती है तो ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है। मौलाना शिब्ली कासमी का कहना है कि मदरसों को परेशान करने के लिए Madarsa Survey की रणनीति अपनाई गई है। मौलना शिब्ली कासमी के मुताबिक मदरसों के सर्वे का मामला बिहार में नहीं है लेकिन पड़ोसी रियासत में मदरसों का सर्वे हो रहा है। उनका कहना है कि मदरसों का सर्वे एक गैर जरूरी मुद्दा है जिसकी हम मुजम्मत करते हैं।
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मदरसों के सर्वे पर ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल ने भी उठाया सवाल
मदरसा सर्वे पर ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल ने कहा कि मदरसे दिनी तालीम के एदारे हैं। देश के ग्रामीण इलाकों में निजी तौर पर चलने वाले मदरसों ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया है। आमतौर पर गरीब छात्र उन मदरसों में पढ़ते हैं। अगर सरकार की तरफ से सर्वे के नाम पर मदरसों को परेशान किया जाता है तो उसका नकारात्मक असर पड़ेगा। जो लोग बगैर किसी फायदे के गरीब छात्रों को पढ़ा रहे हैं वो कैसे समाज की शैक्षणिक मदद कर सकेंगे। इस बात पर भी सरकार को गौर करना चाहिए। मिल्ली कौंसिल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी का कहना है कि मदरसों के सिलसिले में हमेशा देश में बहस होता है। मदरसों को गलत काम से जोड़ा जाता है। जबकि हर बार मदरसे को देखने के बाद लोग ये कहने पर मजबूर होते हैं कि मदरसे शिक्षा के सिलसिले में काफी अच्छा काम कर रहे हैं। फिर एक बार Madarsa Survey के नाम पर मदरसों को बदनाम करने की साजिश की जा रही है।