Maulana Mazharul Haque Arabic Persian University
Maulana Mazharul Haque Arabic Persian University को मिला नया वीसी
पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश कुमार चौधरी को मौलाना मजहरुल हक विश्वविद्यालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वीसी के ओहदे पर प्रो. गिरीश कुमार चौधरी ने मौलाना मजहरुल हक विश्वविद्यालय का चार्ज संभाल लिया है। चार्ज लेने के साथ ही वीसी ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता उन कर्मचारियों के वेतन को फिर से शुरु कराना है जिनका वेतन किसी कारण से बंद कर दिया गया है। |
पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश कुमार चौधरी को मौलाना मजहरुल हक विश्वविद्यालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वीसी के ओहदे पर प्रो. गिरीश कुमार चौधरी ने मौलाना मजहरुल हक विश्वविद्यालय का चार्ज संभाल लिया है। चार्ज लेने के साथ ही वीसी ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता उन कर्मचारियों के वेतन को फिर से शुरु कराना है जिनका वेतन किसी कारण से बंद कर दिया गया है। कुलपति ने ये भी कहा की छात्रों के शैक्षणिक सत्र को वो बेहतर करेंगे और यूनिवर्सिटी के विकास को लेकर भी जरूरी कदम उठाया जाएगा। नए वीसी के चार्ज लेने के बाद बुद्धिजीवियों ने इतमीनान का इजहार किया है। जानकारों के मुताबिक पटना विश्वविद्यालय के वीसी काम में यकीन रखने वाले व्यक्ति हैं उम्मीद की जानी चाहिए की वो Maulana Mazharul Haque Arabic Persian University के विकास के लिए भी वो काम करेंगे।
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यूनिवर्सिटी की परेशानी
मौलना मजहरुल हक विश्वविद्यालय की परेशानी ये है कि आज भी इस यूनिवर्सिटी को यूजीसी के 12बी की सुविधा प्राप्त नहीं हो सकी है। 12बी की सुविधा मिलने से यूजीसी की तरफ से यूनिवर्सिटी को कई तरह की सुविधाएं दी जाती है लेकिन जमीन मिलने और भवन बन जाने के बाद भी Maulana Mazharul Haque Arabic Persian University एक मैन-स्ट्रीम यूनिवर्सिटी की तरह काम करने से अभी भी कोसो दूर है।
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भ्रष्टाचार का मामला आया था सामने
हाल में यूनिवर्सिटी में कई तरह के भ्रष्टाचार का मामला भी सामने आया। उस वक्त के वीसी प्रो. मोहम्मद कुद्दुस ने उत्तर पुस्तिका खरीद और सुरक्षा एजेंसी की नियुक्ति के सिलसिले में वित्तीय अनियमितता का मामला उठाया था जिस पर काफी विवाद हुआ। बाद में वीसी प्रो. कुद्दुस ने अपना इस्तीफा दे दिया। मौलाना मजहरुल हक यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों का कहना है कि प्रो. कुद्दुस ने जिस तरह से मौलाना मजहरुल हक विश्वविद्यालय की नियुक्ति और दूसरे मामलों पर सवाल उठाया था वो न सिर्फ गलत था बल्कि वीसी के कारण यूनिवर्सिटी की शाख को भी काफी नुकसान पहुंचा है। हालांकि इस मामले की जांच चल रही है। दूसरी तरफ विश्वविद्यालय की मौजूदा स्थिति को देखे तो ये साफ हो जाता है कि मौलाना मजहरुल हक यूनिवर्सिटी को सरकार की तरफ से जो सुविधाएं मिलनी चाहिए थी वो आज भी नहीं मिल सकी है।
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यूनिवर्सिटी पर होती रही है सियासत
जानकारों का कहना है कि आखिर क्या कारण है कि दो दशक से ज्यादा अरसे से कायम मौलाना मजहरुल हक विश्वविद्यालय आज भी एक मुकम्मल यूनिवर्सिटी नहीं बन सकी है। हालांकि इस यूनिवर्सिटी पर लगातार सियासत होती रही है। कई बार मौलाना मजहरुल हक यूनिवर्सिटी चुनाव का मुद्दा भी बन चुकी है लेकिन हर बार सियासी पार्टियों ने यूनिवर्सिटी के विकास की बात कह कर वोट लिया है लेकिन यूनिवर्सिटी के विकास के सिलसिले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। जानकारों के मुताबिक तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने यूनिवर्सिटी को जमीन नहीं दिया होता तो आज भी इस यूनिवर्सिटी को अपना मुस्तकिल पत्ता नहीं मिला रहता। अब कम से कम पटना के मिठापुर में Maulana Mazharul Haque Arabic Persian University की अपनी जमीन और अपना भवन मिल चुका है। आने वाले दिनों में यूनिवर्सिटी का विकास भी होगा उसकी उम्मीद पढ़ा लिखा समाज सरकार से करता है।
छात्रों के साथ मजाक
मौलाना मजहरुल हक विश्वविद्यालय के पास आज भी बहुत कुछ नहीं है। कुछ विभागों की स्थापना की गई है लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। शिक्षकों की नियुक्ति के साथ ही छात्रों की बेहतर तालीम की व्यवस्था उसमें शामिल है। मौलाना मजहरुल हक विश्वविद्यालय मदरसों के बीए और एमए के छात्रों की परीक्षा लेती है लेकिन आप को जानकर हैरानी होगी की बीए और एमए के छात्रों को पढ़ाने के लिए आलिम और फाजिल के मदरसों में शिक्षकों का पोस्ट स्वीकृत नहीं है। जानकारों के मुताबिक मदरसों का उच्च शिक्षण संस्थान पूरी तरह से यूनिवर्सिटी के पास जब तक नहीं आएगा मदरसों का उच्च शिक्षा कागज पर ही चलता रहेगा। कहने के लिए विश्वविद्यालय बीए और एमए के छात्रों की परीक्षा लेती है और उन्हें डिग्री देती है लेकिन मदरसों के शैक्षणिक स्तर को बेहतर करने के लिए विश्वविद्यालय के पास किसी तरह का कोई अख्तियार नहीं है। प्रशासनिक जवाबदेही बिहार मदरसा एजुकेशन बोर्ड के पास है जो एक तरह से मदरसों के उच्च शिक्षण संस्थाओं के लिए किसी मजाक से कम नहीं है। नए वीसी को इस पर भी गौर करना होगा ताकि Maulana Mazharul Haque Arabic Persian University को बनाने का मकसद पूरा हो साथ-साथ मदरसों के छात्रों का जीवन भी सफल हो सके।