Minority Commission और सरकार की योजना

 

Minority Commission और सरकार की योजना

 

 

Minority Commission और सरकार की योजना

PATNA- बिहार में अल्पसंख्यकों के नाम पर चलने वाली योजनाएं ज़मीन पर कितना उतर पा रही है उसकी एक मिसाल है अल्पसंख्यक आयोग की तरफ से ज़िला प्रशासन को भेजा जाने वाला खत। दरअसल बिहार Minority Commission की तरफ से लगातार सूबे के अलग-अलग ज़िलों में जिला प्रशासन को चिट्ठी रवाना कर अल्पसंख्यक योजनाओं को लागू कराने की अपील की जाती है। अल्पसंख्यक आयोग का कहना है कि वो ये काम लगातार कर रहे हैं ताकि सरकार की तरफ से चलने वाली अल्पसंख्यक योजनाएं ज़मीन पर उतर सके लेकिन अफसोस की बात है कि काम जिस रफ्तार से होना चाहिए वो नहीं हो रहा है।

 

Minority Commission
Bihar State Minorities Commission

 

 

अल्पसंख्यक आयोग

बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्रो. यूनुस हुसैन हकीम का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अकलियतों के विकास के मामले में संजीदा हैं लेकिन ज़िलों के अफसर इस मामले में कोताही करते हैं। जिसके नतीजे में अकलियतों का काम नहीं हो पाता है। Minority Commission ज़िलों के अफसरों को खत लिख कर अपील करता है कि वो अकलियतों के नाम पर चलने वाली स्कीमों को ज़मीन पर उतारने की पहल करे। यूनुस हुसैन हकीम का कहना है कि आमतौर से इस काम में काफी देरी होती है जिसके नतीजे में अकलियतों का मसला हल नहीं हो पा रहा है।

 

Minority Commission
Prof. Md. Yunus Hussain Hakim, Chairman, Bihar State Minorities Commission

 

 

सरकार

Minority Commission के चेयरमैन प्रो. यूनुस हुसैन हकीम के मोताबिक अकलियतों के विकास के सिलसिले में सरकार की मंशा ठीक है लेकिन काम तो ज़िला में होना है और ज़िलों के अफसरों का अकलियतों के मामले में टालमटोल का रवैया है। ज़िलों में जिस अफसर को अल्पसंख्यक योजनाओं को लागु करने की जवाबदेही दी गई है वो ज़िला प्रशासन के कामों में मसरूफ रहता है। यही कारण है कि अल्पसंख्यक आयोग ज़िलों के डीएम को खत लिख कर उनसे बार बार ये कहता है कि अकलियतों का काम नहीं हो रहा है उसकी मॉनिटरिंग कीजिए। यूनुस हुसैन हकीम का कहना है कि मिसाल के तौर पर अल्पसंख्यकों के स्वरोज़गार के लिए कर्ज देने की स्कीम है। कर्ज किसको मिलेगा ये ज़िला तय करता है। ज़िला से पास हो गया तो फिर पटना में अल्पसंख्यक वित्तीय निगम में मीटिंग होती है। जिसमें बहुत समय लग जाता है और उसका नुकसान अकलियती समाज को उठाना पड़ता है।

 

Also Read – Maulana Mazharul Haque University Admission और मदरसा

 

आयोग का काम

आमतौर पर ये समझा जाता है कि Minority Commission का काम सिर्फ साम्प्रदायिक सद्भावना सुरक्षित करने से जुड़ा है लेकिन आयोग का ये भी काम है कि वो सूबे में अकलियतों के समाजिक और आर्थिक विकास के लिए अध्ययन, शोध, विश्लेषण और अनुशंसा करे साथ ही अकलियतों के विकास के सिलसिले में सरकार की नीति और मंसूबा लागू हो रहा है या नही उसका जाएज़ा ले। इसके साथ ही सरकार से ऐसी अनुशंसा करना जिससे सूबे के अकलियतों के अधिकारों और हितों की हिफाज़त को यकीनी बनाया जा सके। यही वजह है कि अल्पसंख्यक आयोग अल्पसंख्यक योजनाओं को लागू कराने की बार बार अपील करता है।

 

Also Read – Bihar Education Department और उर्दू

 

आयोग के अध्यक्ष

अल्पसंख्यक आयोग के जितने भी अध्यक्ष हुए हैं उनकी ये कोशिश रही है कि सूबे के अकलियतों के विकास के मामले में सरकार से सिफारिश करने के साथ-साथ अकलियती मंसूबों को लागू कराने की भी कोशिश की जाए। यूनुस हकीम Minority Commission के आठवे अध्यक्ष हैं। अल्पसंख्यक आयोग बना तो मुख्यमंत्री उसके अध्यक्ष थे। फिर हारून रशीद को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। उसके बाद प्रो. जाबिर हुसैन कार्यकारी अध्यक्ष बने। प्रो. जाबिर हुसैन को दोबारा अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। उनके बाद प्रो. सुहैल अहमद अध्यक्ष बने। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब सत्ता में आये तो उन्होंने नौशाद अहमद को अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया, नौशाद अहमद के बाद प्रो. मो. सलाम अध्यक्ष बने और 8 मार्च 2019 को प्रो. मो. यूनुस हुसैन हकीम को बिहार अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया गया।

 

Also Read – Police Recruitment और बिहार के मुसलमान

 

Minority Commission के अध्यक्ष

बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अब तक बने सभी चेयरमैन के नेतृत्व में आयोग ने अकलियतों के विकास का काम करने की कोशिश की। प्रो. सुहैल अहमद के वक्त सूबे के अकलियतों की शैक्षणिक, समाजिक और आर्थिक मामलों की जानकारी के लिए बाकायदा एक सर्वे भी कराया गया था। अल्पसंख्यक आयोग के उस सर्वे में सूबे के अकलियतों की खस्ताहाल तस्वीर सामने आने पर वो मामला काफी सुर्खियों में रहा था। उस सर्वे पर आज भी हंगामा हो जाता है। ऐसे में मौजुदा अल्पसंख्यक आयोग का ये कहना कि ज़िलों में अकलियतों के विकास का काम जिस रफ्तार से होना चाहिए था वो नहीं हो रहा है अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। जानकारों का कहना है कि अल्पसंख्यक आयोग की कोशिश अपनी जगह पर है लेकिन सरकार को इस सिलसिले में मोनासिब कार्यवाई करनी चाहिए। सरकार खुद अकलियतों के विकास का दावा करती है फिर ज़िलों में काम का नही होना सरकार के दावों पर सवाल खड़ा करता है। जानकारों का कहना है कि अल्पसंख्यक आयोग की कोशिश यकीनन तारीफ के लायक है लेकिन सरकार को इस मामले में खामोश रहने के बजाए ज़िलों के अफसरों को निर्देश देना चाहिए। ताकि हाशिए पर खड़े अकलियती समाज का मसला हो सके।

 

Also Read – Urdu Teacher Vacancy बिहार में

 

 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

You cannot copy content of this page