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Minority Hostel Bihar

Minority Hostel Bihar

Minority Hostel Bihar

Minority Hostel Bihar: बिहार का अल्पसंख्यक छात्रावास

अल्पसंख्यक छात्रावास।
वित्तीय वर्ष 1999-2000 में अल्पसंख्यक छात्रावास बनाने का फैसला किया गया था। बिहार में सरकार बदली तो नीतीश कुमार ने इस योजना को न सिर्फ बने रहने दिया बल्कि उसे जमीन पर उतारने की कामयाब कोशिश की। 100 बेड वाला अल्पसंख्यक छात्रावास छात्रों के शहर में रह कर पढ़ने का कारण बन रहा है। छात्रावास में छात्रों को 1000 रुपया छात्रवृति भी दी जा रही है।

बिहार में अल्पसंख्यक छात्रावास से छात्रों को फायदा होने लगा है। ये सच है कि बिहार के सभी जिलों में अल्पसंख्यक छात्रावास नहीं है। लेकिन ये भी सच है कि जिन जिलों में अल्पसंख्यक छात्रावास बन चुका है वहां छात्रों की मुश्किल अब दूर होने लगी है। पिछले 22 साल पहले शुरु की गई योजना जमीन पर है। और उसका असर छात्रों की शिक्षा पर दिखाई दे रहा है। दरअसल लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की सरकार में राज्य के सभी जिलों में एक-एक अल्पसंख्यक छात्रावास बनाने का फैसला किया गया था। कुछ जिलों में Minority Hostel Bihar का निर्माण कार्य हुआ लेकिन ज्यादातर जिलों में ये योजना जमीन पर नहीं उतर सकी। उस समय अल्पसंख्यक छात्रावास से छात्रों को कोई खास फायदा नहीं हुआ था। बिहार में सरकार बदली तो नीतीश कुमार ने इस योजना को न सिर्फ बने रहने दिया बल्कि लड़कियों के लिए भी छात्रावास बनाने का एलान किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने अल्पसंख्यक छात्रावास के रख-रखाव के लिए गंभीर पहल करने के साथ-साथ उसे जमीन पर लागू करने की कोशिश की। जिन जिलों में छात्रावास नहीं बना था वहां उसको बनाने का निर्देश दिया। सूबे के चीफ सेक्रेटरी आमिर सुब्हानी की पहल से कई जिलों में छात्रावास बन कर तैयार हुआ। सबसे बड़ी बात कि उन छात्रावास में छात्रों को रहने का मौका मिला।

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दानिश आबदीन, सदस्य, संचालन समिति अल्पसंख्यक छात्रावास शमसुल होदा मदरसा पटना।

अल्पसंख्यक छात्रावास में सुविधाएं

अल्पसंख्यक छात्रावास में सरकार की तरफ से काफी सुविधाएं मुहैया कराई गई है। प्रत्येक छात्रावास 100 बेड का है। छात्रावास में बिजली, पानी, कुर्सी, टेबुल, मेज, कैंटिन, रिडिंग रूम, किताबें, जनरेटर, टेलीविजन, कॉमनरूम के साथ-साथ दो गार्ड और दो सफाई कर्मी को नियुक्त किया गया है। अल्पसंख्यक छात्रावास में रहने वाले छात्रों को सरकार की तरफ से 1000 रुपया वजीफा मिलता है। सभी छात्रों के लिए 9 किलो गेहूँ और 6 किलो चावल देने की व्यवस्था की गई है। जानकारों के मुताबिक Minority Hostel Bihar में कहीं कम या ज्यादा लेकिन हर जगह सुविधाएं मुहैया कराई गई है। अल्पसंख्यक छात्रावास में रहने वाले छात्रों का कहना कि ज्यादातर छात्र गांव के रहने वाले हैं  और आर्थिक एतबार से कमजोर होने के कारण वो शहरों में रहने के काबिल नहीं थे लेकिन अल्पसंख्यक छात्रावास में जगह मिलने से उनके रहने की समस्या बिल्कुल दूर हो गई है। साथ-साथ यहां का माहौल काफी अच्छा है। छात्रों ने कहा कि कहा जा सकता है कि शिक्षा हासिल करने के रास्ते के एक बड़ी रूकावट को सरकार ने दूर करने की कामयाब कोशिश की है।

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मदरसा शमसुल होदा का छात्रावास

पटना के शमसुल होदा मदरसे के अल्पसंख्यक छात्रावास को एक केस स्टडी के तौर पर देखें तो मालूम होता है कि यहां छात्रों को काफी बेहतर माहौल दिया गया है। एक सौ बेड पर 100 छात्र हैं। मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों के लिए छात्रावास में काफी अच्छा इंतजाम है। यहां हर छात्र को 1000 रुपया छात्रवृति की रकम मिल रही है। टेलीविजन, कॉमनरूम, रिडिंग रूम, किताबें, कैंटिन, खाने पीने की व्यवस्था के साथ ही सुरक्षा के लिए गार्ड की व्यवस्था की गई है। इस का नाम जिला अल्पसंख्यक बालक छात्रावास है। यहां छात्रों को काफी सुविधाएं हासिल है। छात्रावास के संचालन समिति के सदस्य दानिश आबदीन का कहना है कि Minority Hostel Bihar में सरकार की तरफ से काफी सुविधाएं मुहैया कराई गई है। दानिश आबदीन ने 1000 रुपया के छात्रवृति को बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि कम से कम 2000 रुपया का छात्रवृति मिलना चाहिए ताकि छात्रों को थोड़ी और राहत मिल सके। दानिश आबदीन ने कहा कि हमारे छात्रावास में छात्रों को गेहूँ और चावल नहीं मिल रहा है। उनका कहना है कि खाने के लिए कैंटिन में निजी तौर पर छात्रों ने व्यवस्था की है जिसमें एक छात्र को महीने में 2300 रुपया खर्च करना होता है।

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मेजर इकबाल हैदर खान, महासचिव, जेडीयू।
छात्रों की प्रतिक्रिया पर जेडीयू नेता खुश

अल्पसंख्यक छात्रावास में रह रहे छात्रों की प्रतिक्रिया से मुस्लिम नेता काफी खुश हैं। जेडीयू के महासचिव मेजर इकबाल हैदर खान (Major Equbal Haidar Khan) का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वोट की कभी सियासत नहीं की है। अल्पसंख्यक छात्रावास की ये योजना कोई मामूली योजना नहीं है। जिलों में अल्पसंख्यक छात्रावास बन जाने से कम से कम 100 छात्र का शैक्षणिक जीवन बदल जाता है। वो आर्थिक एतबार से कमजोर होने के कारण आगे की तालीम मुकम्मल नहीं कर पाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। मेजर इकबाल हैदर खान का कहना है कि कोई किसी सरकार का विरोध कर सकता है लेकिन सरकार की तरफ से किए जा रहे कामों की सराहना करना भी एक सकारात्मक समाज की निशानी होती है। सरकार ने एक पहल की और अब उसका रिजल्ट देखने को मिल रहा है। जेडीयू महासचिव मेजर इकबाल हैदर के मुताबिक सरकार की मंशा अल्पसंख्यक छात्रों को शैक्षणिक मदद पहुंचाना है जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कामयाब हुए हैं।

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अल्पसंख्यक कल्याण विभाग करता है छात्रावास की निगरानी

Minority Hostel Bihar अल्पसंख्यक छात्रावास के देख-रेख की जिम्मेदारी अल्पसंख्यक विभाग (Minority Welfare Department) की है। अल्पसंख्यक विभाग की तरफ से सभी जिलों में छात्रावास बनाने की कोशिश की जा रही है। जहां छात्रावास चल रहा है उसके देख-रेख और वहां की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश होती है। अल्पसंख्यक मंत्री जमा खान (Minority Welfare Minister Zama Khan) सीतामढ़ी जिले के इंचार्ज मंत्री हैं। लेकिन सीतामढ़ी में अब तक अल्पसंख्यक छात्रावास का निर्माण नहीं हुआ है। जानकारों का कहना है कि सरकार की ये एक अच्छी योजना है जिसका अल्पसंख्यक छात्रों को फायदा होता है। जानकारों ने सरकार से अपील किया है कि जहां अल्पसंख्यक छात्रावास नहीं बन सका है वहां इस योजना को जमीन पर लागू करने की कार्रवाई की जाए।

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