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Shamsul Huda Madarsa Patna

Shamsul Huda Madarsa Patna

Shamsul Huda Madarsa Patna

 

बिहार का मशहूर एदारा Shamsul Huda Madarsa Patna बंद होने के कागार पर।

दो सालों से शमसुल होदा मदरसा के जूनियर सेक्शन में छात्रों का दाखिला बंद है। सिर्फ इस वजह से कि मदरसे में शिक्षक नहीं हैं। शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से सरकार पर सवाल खड़ा हो रहा है। एक तरफ सरकार दावा करती है कि शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव हुआ है वहीं दूसरी तरफ जमीनी सच्चाई सरकार के दावों की पोल खोल रही है। उधर एमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने एलान किया है कि इस मसले को जल्द हल नहीं किया गया तो सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन होगा।

बिहार का मशहूर व मारूफ शिक्षण संस्थान मदरसा इस्लामिया शमसुल होदा (Madarsa Islamia Shamsul Huda) काफी बुरे दौर से गुजर रहा है। करीब एक सौ साल पुराना Shamsul Huda Madarsa Patna अपनी बेहतरीन तारीख के साथ पूरे देश में याद किया जाता है। ये एक ऐसा मदरसा है जो पूरी तरह से सरकार के मातहत है यानी एक सरकारी मदरसा है। वो भी बिहार का अकेला सरकारी मदरसा। गौर करें तो जब सरकारी मदरसा की स्थिति इतनी दैनिय हो गई है तो सरकार से अनुदान प्राप्त मदरसों की स्थिति क्या होगी। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। हाल में आई नीति आयोग की रिपोर्ट ने भी साफ किया है कि बिहार शिक्षा के मामले में आखिरी पायदान पर खड़ा है। ऐसे में किसी शैक्षणिक संस्थान का बंद होना अपने आप में कई सारे सवालों को खड़ा करता है। ऐतिहासिक मदरसा शमसुल होदा बंद होने के दहाने पर खड़ा है।

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मदरसे में पूरी तरह से लग जाएगा ताला

शमसुल होदा मदरसे में यूं तो एम ए तक की पढ़ाई की व्यवस्था है। कहते हैं एक जमाने में इस मदरसे में दाखिला लेना छात्रों का सपना होता था। तब यहां से तालीम हासिल कर छात्र काफी ऊंचे-ऊंचे मुकाम तक पहुंचने में सफल हुए। आई ए एस, प्रोफेसर, शायर, अदीब और बड़े-बड़े शिक्षाविद इस मदरसे से पैदा हुए लेकिन आज मदरसे की स्थिति पर बुद्धिजीवियों को अफसोस हो रहा है। Shamsul Huda Madarsa Patna में दो सेक्शन है। एक सीनियर और दुसरा जूनियर। सीनियर सेक्शन की स्थिति भी बेहद खराब है लेकिन सबसे ज्यादा मसला जूनियर सेक्शन का है। मदरसे के जूनियर सेक्शन में पहली क्लास से 10वीं तक की तालीम होती है। आप को जानकर हैरानी होगी की पहली क्लास से 10वीं तक के मदरसे में सिर्फ एक शिक्षक मौजूद हैं वो भी 31 जनवरी को रिटायर्ड हो जाएंगे। पहले से ही मदरसे के जूनियर सेक्शन में छात्रों का दाखिला बंद है अब 31 जनवरी के बाद मदरसे में पूरी तरह से ताला लगने की संभावना बनती जा रही है।

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दो साल से नहीं हुआ है छात्रों का दाखिला

दो सालों से Shamsul Huda Madarsa Patna के जूनियर सेक्शन में छात्रों का दाखिला बंद है। उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ ये कारण है कि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। अब ऐसी स्थिति में मौजूदा नीतीश सरकार पर सवाल खड़ा होना लाज़मी है। एक तरफ सरकार शिक्षा के मामले में बड़ा-बड़ा दावा करती है और दूसरी तरफ जमीनी सच्चाई सरकार के दावों की पोल खोल रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा कहते हैं कि बिहार में उनकी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया है। इस बात से इनकार नहीं है कि बिहार की शैक्षणिक हालत में सरकार ने बदलाव किया है लेकिन अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक एदारों की स्थिति दैनिय है ये बात भी सच है। उसकी एक मिसाल खुद सरकारी संस्थान मदरसा इस्लामिया शमसुल होदा है।

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सरकार खामोश समाज लापरवाह

जानकारों का कहना है कि सरकार के साथ-साथ समाज भी उतना ही जिम्मेदार है जिसने मदरसे की इस लाचारी पर पूरी तरह से खामोशी अख्तियार कर ली है। अकलियतों के सियासी नेता मदरसे के मसले पर अपना मुंह खोलना जरूरी नहीं समझते हैं। सियासी पार्टियों के नेता अकसर चुनाव के समय अल्पसंख्यकों को लॉली पॉप दिखाते हैं। शिक्षा में सुधार की बात भी करते हैं लेकिन क्या कभी वोट लेने के बाद वो पलट कर उसकी खबर भी लेते हैं ये बात काफी महत्वपूर्ण है। बुद्धिजीवियों का कहना है कि यही सबसे बड़ी विडंबना है कि पार्टियां ये मान कर चलती है कि चुनावी वादों से ही जनता खुश हो जाएगी यहां तक वादों के जरिए ही उनका विकास भी हो जाएगा लेकिन क्या वाकई ये मुमकिन है। अगर ये मुमकिन नहीं है तो सरकार को अविलंब शिक्षकों की नियुक्ति कर Shamsul Huda Madarsa Patna के जूनियर सेक्शन को बंद होने से बचाना चाहिए।

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मदरसे के आखिरी शिक्षक 31 जनवरी को करेंगे रिटायर्ड

मदरसा शमसुल होदा के जूनियर सेक्शन में 13 ओहदे स्वीकृत है। मदरसे के सभी ओहदे खाली है। एक शिक्षक बचे हैं जो 31 जनवरी के रिटायर्ड हो जाएंगे। खास बात ये है कि पटना का तालीम याफता अल्पसंख्यक समाज में इस मदरसे की खस्ताहाली को लेकर किसी तरह की कोई चिंता नहीं है। यही कारण है कि सरकार को सभी मामले का जिम्मेदार बनाना उचित नहीं है। इसमें कोई शक नहीं की सरकार को शिक्षकों की नियुक्ति कर अपने होने का सबूत देना चाहिए। मौत के दहाने पर पहुंचा शमसुल होदा मदरसे को जिंदा रखने की सरकार की तरफ से जरूर कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन ये भी सच है कि मदरसे के मामले में समाज की उदासीनता देखने लायक है।

एमआईएम ने बताया बड़ा मुद्दा, आंदोलन की तैयारी
अख्तरुल ईमान, प्रदेश अध्यक्ष, एमआईएम।

एमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने शमसुल होदा मदरसे के मामले पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। एमआईएम ने एलान किया है कि सरकार इस संबंध में कार्रवाई नहीं करती है तो पार्टी सरकार के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत करेगी। उधर इमारत-ए-शरिया बिहार के नाजिम मौलाना शिब्ली कासमी का कहना है कि नीतीश कुमार काफी संजीदा मुख्यमंत्री हैं। उनकी नजर सभी जगहों पर रहती है। हमें उम्मीद है कि वो Shamsul Huda Madarsa Patna के लिए जल्द मुनासिब कदम उठाएंगे। इमारत के मुताबिक शमसुल होदा मदरसे को बंद होने से पूरे मुल्क में क्या पैगाम जाएगा इस बात को जरूर ध्यान में रखना चाहिए। ऑल बिहार मदरसा ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन का कहना है कि सरकार को मदरसे की सुरते हाल की जानकारी लंबे समय से दी जा रही है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है और देखते-देखते मदरसा बंद होने के दहाने पर पहुंच गया है। ऑल बिहार मदरसा ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन का कहना है कि इस सिलसिले में जल्द कोई कार्रवाई नहीं होती है तो सरकार के खिलाफ ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन आंदोलन करेगा।

शहर का है सबसे बड़ा मदरसा

पटना का ये सबसे बड़ा मदरसा है। मदरसे के पास काफी जमीन है जिसका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है। कभी सैकड़ों छात्र मदरसे में तालीम हासिल करते थे। मदरसे की स्थिति पर स्थानीय लोग भी अफसोस कर रहे हैं। बगैर किसी धार्मिक भेदभाव के स्थानीय लोगों का कहना है कि ये एक बड़ा शिक्षण संस्थान है जिसको हर कीमत पर बचाना चाहिए। ऐसे में सवाल है कि क्या सरकार भी इस मदरसे के बारे में ऐसा ही सोचती है या फिर सरकार को Shamsul Huda Madarsa Patna की स्थिति से कोई लेना देना नहीं है। ये अपने आप में एक सवाल बना हुआ है।

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