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Shamsul Huda Madarsa

Shamsul Huda Madarsa

Shamsul Huda Madarsa

 

बंद होने के कागार पर पहुंचा पटना का Shamsul Huda Madarsa

अख्तरुल ईमान, विधायक व प्रदेश अध्यक्ष, एमआईएम।
शमसुल होदा मदरसे के मसले पर विधानसभा में सरकार से सवाल पूछा गया था। सरकार ने जवाब दिया कि राजकीय मदरसा शमसुल होदा में 35 पद स्वीकृत है जिसके विरूद्ध 25 पद रिक्त है। रिक्त हुए 25 पदों को भरे जाने के संबंध में अधियाचना सामान्य प्रशासन विभाग बिहार को भेजे जाने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।

 

बिहार का एक मात्र सरकारी मदरसा, मदरसा इस्लामिया शमसुल होदा क्या बंद हो जाएगा ये सवाल अल्पसंख्यक समाज के बीच बहस का मुद्दा बना हुआ है। शमसुल होदा मदरसे के मामले पर एमआईएम ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। एमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान के मुताबिक Shamsul Huda Madarsa के मसले पर विधानसभा में सरकार से सवाल पूछा गया था। सरकार ने जवाब दिया कि ‘राजकीय मदरसा शमसुल होदा में 35 पद स्वीकृत है जिसके विरूद्ध 25 पद रिक्त है। रिक्त हुए 25 पदों को भरे जाने के संबंध में अधियाचना सामान्य प्रशासन विभाग बिहार को भेजे जाने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।’ अख्तरुल ईमान का कहना है कि शमसुल होदा मदरसे में दो सेक्शन है। एक को जूनियर सेक्शन कहा जाता है और दूसरे को सीनियर सेक्शन। जूनियर सेक्शन में पहली क्लास से लेकर 10वीं तक की पढ़ाई होती है और सीनियर सेक्शन में एम ए तक की तालीम होती है। शिक्षक नहीं होने से जूनियर सेक्शन में छात्रों का दाखिला बंद हो गया है। सीनियर सेक्शन में भी शिक्षकों की कमी के कारण मदरसा की शैक्षणिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। ऐतिहासिक मदरसा होने के बाद भी नीतीश सरकार ने इस मसले पर गंभीरता से पहल करना जरूरी नहीं समझा है। ये अपने आप में सरकार के उस दावे की पोल खोलता है जिसमें सरकार सब के साथ इंसाफ का नारा बुलंद करती है।  

 

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1912 में हुई थी शमसुल होदा मदरसे की स्थापना

पटना के अशोक राज पथ पर स्थित शमसुल होदा मदरसा की स्थापना 1912 में जस्टिस सैयद नुरुलहोदा ने किया था। पटना साइंस कालेज की ठीक सामने Shamsul Huda Madarsa है। शहर का ये वो इलाका है जिसे शिक्षा का हब कहा जाता है। एक ऐसे स्थान पर स्थित मदरसा शमसुल होदा पिछले 20 वर्षों में पूरी तरह से बदहाल हो चुका है। कभी यहां शिक्षा हासिल करना छात्रों का सपना होता था। इस मदरसे से तालीम हासिल करने वाले छात्र ऊंचे-ऊंचे पदों पर पहुंचने में कामयाब हुए। आज मदरसे की ये हालत है कि जूनियर सेक्शन में छात्रों का दाखिला बंद हो गया है और वो भी सिर्फ इस वजह से कि शिक्षक नहीं हैं। एक तरफ नीतीश सरकार राज्य की शिक्षा को पूरी तरह से पटरी पर लाने का दावा करते नहीं थकती है और दूसरी तरफ ऐतिहासिक एदारे बंद होने के कागार पर पहुंच रहे हैं।

 

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मदरसे के जूनियर सेक्शन में लग जाएगा ताला

शमसुल होदा मदरसा के जूनियर सेक्शन में वर्तमान में एक शिक्षक मौजूद हैं और वो भी जनवरी में रिटायर्ड हो जाएंगे। ऐसे में मदरसे के जूनियर सेक्शन में पूरी तरह से ताला लग जाएगा। सीनियर सेक्शन में पांच से ज्यादा विषय पर एम ए की पढ़ाई होती है जबकि शिक्षकों की संख्या सिर्फ तीन है। बाकी का पद वर्षों से खाली है लेकिन सरकार की तरफ से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। सरकार की उपेक्षा का शिकार मदरसा शमसुल होदा के मामले पर एमआईएम ने आंदोलन छेड़ने की धमकी दी है। एमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान का कहना है कि जनवरी में पार्टी इस सिलसिले में आगे की रणनीति तय करेगी। अख्तरुल ईमान के मुताबिक ऐतिहासिक मदरसा शमसुल होदा के साथ ये नाइंसाफी किसी भी कीमत पर नहीं होने दी जाएगी।

 

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अकलियती एदारों में नहीं हो रही है नियुक्ति

मदरसे का सबसे बड़ा मसला शिक्षकों की नियुक्ति से जुड़ा है। जानकारों का कहना है कि सरकार की तरफ से यहां और पदों को स्वीकृत किया जाना चाहिए था जबकि जो पद पहले से स्वीकृत है उस पर भी शिक्षकों की नियुक्ति में सरकार लापरवाही कर रही है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि शिक्षक के नहीं होने से ये एदारा चलेगा कैसे। जो लोग मदरसे में पढ़ा रहे हैं उनकी तरफ से भी सरकार से बार-बार अपील की जाती रही है। पटना में होने के बाद भी Shamsul Huda Madarsa के बारे में सरकार ने कोई चिंता नहीं की है। ऐसे में दूर दराज के इलाकों के शिक्षण संस्थाओं का क्या हाल होगा समझा जा सकता है। एमआईएम का कहना है कि सरकार अकलियतों से जुड़े एदारों में बहाली ही नहीं करना चाहती है। एमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान के मुताबिक राज्य में चपरासी की बहाली हो रही है, माली और गार्ड की नियुक्ति हो रही है लेकिन अकलियतों से जुड़े तालीमी एदारों में टिचरों को नियुक्त करना लगता है सरकार को मंज़ुर नहीं है। उधर शिक्षाविदों ने सरकार से अपील किया है कि वो इस मसले को अविलंब हल करें साथ-साथ मदरसा इस्लामिया शमसुल होदा की तरक्की को लेकर भी सरकार की तरफ से पहल होनी चाहिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नारा है इंसाफ के साथ विकास तो ये बात सरकार के काम में भी दिखना चाहिए।

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