Sunni Waqf Board
मस्जिदों के इमाम के वेतन पर Sunni Waqf Board की पहल
मस्जिदों के इमाम काफी मुश्किल में हैं। इमाम और मोअज्जिन का वेतन आमतौर से 5 हजार से 10 हजार के बीच होता है। बढ़ती हुई महंगाई में उनका वेतन खुद उनके लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इमाम मस्जिद में नमाज पढ़ाना चाहते हैं लेकिन कम वेतन के चलते अब अपने बच्चों को इमाम की नौकरी करने से मना करते हैं। |
कोरोना और लॉकडाउन के कारण मस्जिदों की व्यवस्था चरमरा गई थी। स्थिति सामान्य होने के बाद भी मस्जिदों की समस्याएं हल नहीं हुई है। मस्जिद के इमाम और मोअज्जिन का मसला और गंभीर हो गया है। कम वेतन के चलते मस्जिदों में नमाज पढ़ाने वाले इमाम और अजान देने वाले मोअज्जिन काफी मुश्किल हालत में अपनी जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं। उनकी तनख्वाह आमतौर से 5 हजार से 10 हजार के बीच होती है। समझा जा सकता है कि इस महंगाई में इमाम और मोअज्जिन का घर उनके वेतन से कैसे चलता होगा। इमाम के वेतन को लेकर बहस शुरु हो गई है। जानकारों ने इस सिलसिले में Sunni Waqf Board को पहल करने की अपील की है। इमामों का संगठन कुल हिंद आइमा मसाजिद बिहार का कहना है कि वक्फ बोर्ड को कम से कम इमाम के वेतन का इंतजाम जरूर करना चाहिए।
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इमाम को 15 हजार रुपया वेतन देने का किया गया था एलान
गौरतलब है कि इमाम और मोअज्जिन के वेतन के मामले पर सरकार ने भी गंभीर पहल करने का भरोसा दिलाया था। इस सिलसिले में वक्फ बोर्ड और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की मीटिंग भी हुई थी। एलान किया गया कि वक्फ बोर्ड की तरफ से इमाम को 15 हजार और मोअज्जिन को 10 हजार रुपया वेतन दिया जाएगा। ये सुविधा वक्फ बोर्ड से रजिस्ट्रड मस्जिदों की दी जानी है। सुन्नी वक्फ बोर्ड से 1,057 मस्जिद रजिस्ट्रड है। अगर वक्फ बोर्ड, रजिस्ट्रड मस्जिदों के इमाम और मोअज्जिन को वेतन देने का सिलसिला शुरु करता है तो उस पर सालाना 31 करोड़ से ज्यादा का रकम खर्च होगा। Sunni Waqf Board के अध्यक्ष मोहम्मद इरशादुल्लाह का कहना है कि इस संबंध में सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। उम्मीद है कि ये मसला हल कर लिया जाएगा।
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वेतन नहीं मिलने पर इमाम और मोअज्जिन ने उठाया सवाल
इमाम और मोअज्जिन को वेतन देने में आई देरी पर मस्जिदों के इमाम ने अफसोस का इजहार किया है। Sunni Waqf Board का कहना है कि देरी जरूर हुई है लेकिन इमाम और मोअज्जिन की माली मुश्किल को देखते हुए उन्हें वेतन देने के संबंध में वक्फ बोर्ड गंभीर है। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष का कहना है कि इमाम और मोअज्जिन को वेतन देने का जब से एलान किया गया है तब से वक्फ बोर्ड में मस्जिदों के रजिस्ट्रेशन की संख्या बढ़ गई है। बोर्ड के मुताबिक उस एलान के बाद 500 से ज्यादा मस्जिदों ने अपना रजिस्ट्रेशन वक्फ बोर्ड से कराया है। वक्फ बोर्ड ने रजिस्ट्रड मस्जिदों के इमाम और मोअज्जिन को वेतन देने के साथ-साथ सूबे के बाकी मस्जिदों के इमाम और मोअज्जिन की समस्याओं पर भी गौर करने का भरोसा दिलाया है।
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मुख्यमंत्री करेंगे इमामों के मसले का हल
सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष मोहम्मद इरशादुल्लाह का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मस्जिदों के इमाम, खानकाह, कब्रिस्तानों की घेराबंदी समेत अल्पसंख्यकों के मसले पर बहुत गंभीर है। सरकार अल्पसंख्यकों के विकास के लिए काम कर रही है। वक्फ बोर्ड को मस्जिदों के इमाम और मोअज्जिन की माली स्थिति की जानकारी है। वो काफी मुश्किल में अपना वक्त काट रहे हैं। यही कारण है कि उनके वेतन को लेकर वक्फ बोर्ड पहल करने जा रहा है। देरी हुई है लेकिन वक्फ से रजिस्ट्रड मस्जिदों के इमाम और मोअज्जिन के वेतन का मसला हल किया जाएगा। बोर्ड के अध्यक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री भी इस काम को करना चाहते हैं। उधर पूरे बिहार में मस्जिदों की कितनी संख्या है इसका कोई डाटा नहीं है। वक्फ बोर्ड से रजिस्ट्रड मस्जिदों का डाटा है जिसमें पटना की 100 मस्जिदें शामिल है। जानकारों का कहना है कि ये मंसूबा देखने में अच्छा लग रहा है लेकिन वक्फ बोर्ड इस काम को जमीन पर उतार पाएगा ये कहना मुश्किल है। उनके मुताबिक वक्फ बोर्ड ने इस काम को करने का एलान किया है। पहले मरहले में कम से कम पटना की 100 मस्जिदों के इमाम और मोअज्जिन को वेतन देने का सिलसिला शुरु किया जाना चाहिए ताकि इस मंसूबे पर लोग भरोसा कर सकें।