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Waqf Board

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Waqf Board: मस्जिद और कब्रिस्तानों का जल्द कराएं रजिस्ट्रेशन

मोहम्मद इरशादुल्लाह, चेयरमैन, बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड।
वक्फ बोर्ड के पास ये ताकत है कि वो वक्फ कानून के तहत किसी से भी अपनी जमीन को वापस ले सकता है। भले ही उसको कभी भी कब्जा किया गया हो। वक्फ बोर्ड अपनी इस ताकत के सहारे मस्जिद और कब्रिस्तानों के मसले को भी हल करना चाहता है। वक्फ बोर्ड का मानना है कि मस्जिद और कब्रिस्तानों का रजिस्ट्रेशन आज जरूरी हो गया है।

पूरे देश में लाखों करोड़ की संपत्ति Waqf Board के पास है। कहा जाता है कि रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास मौजूद है। वक्फ की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कड़ा कानून है फिर भी वक्फ की जमीन पर कब्जा आम बात है। देश के अलग-अलग राज्यों के वक्फ बोर्ड के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी संपत्तियों की हिफाजत से जुड़ा है। देश का कोई भी ऐसा वक्फ बोर्ड नहीं है जिसका काफी पैसा और काफी समय मुकदमेबाजी में खर्च नहीं होता हो। मस्जिद और कब्रिस्तान भी वक्फ की संपत्ति है लेकिन वक्फ बोर्ड मस्जिद और कब्रिस्तानों की देखरेख और मदद तभी कर पाता है जब उसका रजिस्ट्रेशन वक्फ बोर्ड से कराया गया हो। कई बार रजिस्ट्रेशन नहीं होने से मस्जिद और कब्रिस्तानों के सिलसिले में होने वाले किसी तरह के विवाद को वक्फ बोर्ड हल नहीं करा पाता है। ऐसे में विवाद तो बढ़ता ही है सामाजिक सौहार्द भी बिगड़ने का अंदेशा बना रहता है। उसे देखते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड ने लोगों से अपील किया है कि वो मस्जिद और कब्रिस्तानों का बगैर वक्त गवाएं वक्फ बोर्ड से रजिस्ट्रेशन कराएं।

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सुन्नी वक्फ बोर्ड की अपील

बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ बोर्ड के चैयरमेन मोहम्मद इरशादुल्लाह ने लोगों से अपील की है कि मस्जिद और कब्रिस्तानों के रजिस्ट्रेशन में किसी तरह की लापरवाही नहीं की जाए। राज्य के सभी मस्जिद और कब्रिस्तानों का रजिस्ट्रेशन जरूरी है। चेयरमैन के मुताबिक आमतौर से मस्जिद और कब्रिस्तान के सिलसिले में लोगों की लापरवाही कई बार उन्हें भारी पड़ती है। मोहम्मद इरशादुल्लाह का कहना है कि कई कब्रिस्तानों के पास काफी जमीन है नतीजे के तौर पर जमीन माफियाओं की तरफ से कब्रिस्तान की जमीन को कब्जा करने की कोशिश की जाती है जिससे गैर जरूरी विवाद शुरु हो जाता है। अगर मस्जिद और कब्रिस्तान Waqf Board से रजिस्ट्रड होगा तो वक्फ बोर्ड वक्फ कानून के अनुसार ना सिर्फ उसकी सुरक्षा करेगा बल्कि किसी तरह के विवाद को सुलझाने और कानूनी मदद करने में भी अपनी भूमिका अदा कर पाएगा।

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कब्जे की किसी भी जमीन को छुड़ा सकता है वक्फ बोर्ड

बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड से करीब 2,850 वक्फ स्टेट रजिस्ट्रड है। सुन्नी वक्फ बोर्ड की मालियत हज़ारों करोड़ की है। उससे बोर्ड को कितना फायदा होता है और बोर्ड आम लोगों के लिए क्या काम करता है ये एक अलग बहस है लेकिन इतना जरूर है कि नया वक्फ कानून के अनुसार वक्फ संपत्तियों को कब्जा करना और बेचना आसान नहीं है। Waqf Board के पास ये ताकत है कि वो वक्फ कानून के मातहत किसी से भी अपनी जमीन वापस ले सकता है। भले ही उसको कभी भी कब्जा किया गया हो। वक्फ बोर्ड अपनी इस ताकत के सहारे मस्जिद और कब्रिस्तानों के मसले को भी हल करना चाहता है। वक्फ बोर्ड का मानना है कि मस्जिद और कब्रिस्तानों का रजिस्ट्रेशन आज के दौर में सबसे ज्यादा जरूरी हो गया है।
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मस्जिद के कागजात को करें दुरुस्त

वक्फ बोर्ड का कहना है कि आमतौर पर लोग मस्जिद के मामले में लापरवाह होते हैं। खासतौर से मस्जिद के कागजात हैं भी या नहीं उन्हें कुछ पत्ता नहीं रहता है। किसी ने मस्जिद के लिए अपनी जमीन मुहैया कराई, मस्जिद बन कर तैयार हो गई, वर्षों वर्ष से लोग वहां नमाज पढ़ रहे हैं लेकिन जब कागज का सवाल आता है तो अकसर उन्हें परेशानियों का सामना करते देखा गया है। Waqf Board का कहना है कि मस्जिद के कागजात को लोग दुरुस्त कराएं। कागज नहीं हो तो कागज की मालूमात की जाए लेकिन मस्जिद के कागजात को पूरी तरह से अपडेट रखने की कोशिश की जाए। अगर ऐसा होता है तो परेशानियां नहीं होगी। वक्फ बोर्ड ने ये भी कहा की मस्जिद को वक्फ बोर्ड से रजिस्ट्रड कराने से मस्जिदों के इमाम व मोअज्जिन की तनख्वाहों का भी वक्फ बोर्ड इंतज़ाम करेगा उसकी भी कोशिश की जा रही है।

कब्रिस्तान

जहां-जहां मुस्लिम आबादी है वहां-वहां कब्रिस्तान मौजूद है। जहां ज्यादा आबादी है वहां कब्रिस्तानों के पास ज्यादा जमीन है। खासतौर से शहरों के बड़े कब्रिस्तानों के सामने कब्जा का खतरा बरकरार रहता है। अगर कब्रिस्तान वक्फ बोर्ड से रजिस्ट्रड है तो Waqf Board उसे आजाद कराने के लिए कानूनी मदद करता है। लेकिन कब्रिस्तान रजिस्ट्रड नहीं है तो कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जमीन कब्जा करने वाले लोग उसे आसानी से छोड़ने को तैयार नहीं होते हैं। शहरों में दर्जनों ऐसे कब्रिस्तान हैं जिनके दीवार से दुकानें लगी हुई है। दुकानदारों ने कब्रिस्तान की जमीन कब्जा कर के अपना दुकान बना लिया अब हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में कब्रिस्तानों का वक्फ बोर्ड से रजिस्ट्रेशन नहीं है तो और भी मुश्किल पेश आती है।

कैसे होता है रजिस्ट्रेशन

वक्फ बोर्ड के मुताबिक 2000 कब्रिस्तान वक्फ बोर्ड से रजिस्ट्रड है जबकि पूरे बिहार में 30000 से ज्यादा कब्रिस्तान है। उसी तरह वक्फ बोर्ड से 150 मस्जिदों का रजिस्ट्रेशन हुआ है जबकि बिहार में 15000 से ज्यादा मस्जिदों की संख्या है। ऐसे में ये गौर करने वाली बात है कि लोग वक्फ बोर्ड से रजिस्ट्रेशन कराने के संबंध में कितना संजीदा हैं। वक्फ बोर्ड के मुताबिक मस्जिद, कब्रिस्तान या वक्फ की संपत्ति को वक्फ बोर्ड से रजिस्ट्रेशन कराना बिल्कुल आसान है। सबसे पहले उन्हें पटना के हज भवन में आना होगा। हज भवन की दूसरी मंजिल पर Waqf Board का दफ्तर है। रजिस्ट्रेशन कराने के लिए उस जमीन के कागजात को साथ लाएं खासतौर से खतियान। उस जमीन का खाता और खेसरा नम्बर का होना भी जरूरी है। वक्फ बोर्ड में रजिस्ट्रेशन का चार्ज मात्र 250 रुपया है। मस्जिद का रजिस्ट्रेशन कराते समय मस्जिद की कमेटी के लोगों की मौजूदगी जरूरी है और कब्रिस्तान का रजिस्ट्रेशन कराते समय कब्रिस्तान की कमेटी के लोगों का रहना जरूरी है। वक्फ बोर्ड का कहना है कि एक बार वक्फ बोर्ड से रजिस्ट्रेशन का काम पूरा होने के बाद उस की देखरेख और हिफाजत की जवाबदेही वक्फ बोर्ड की हो जाती है।

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