Ameer e Shariat Bihar

 

Ameer e Shariat Bihar

 

बिहार के मुसलमानों में Ameer e Shariat Bihar का चुनाव बना सबसे बड़ा मुद्दा

 

PATNA- बिहार में फिलहाल मुसलमानों का सबसे बड़ा मुद्दा अमीर-ए-शरियत का चुनाव बन गया है। क्या खास और क्या आम सभी के जबान पर इमारत-ए-शरिया बिहार के आठवीं अमीर-ए-शरियत के चुनाव का मामला सुर्खियों में है। तमाम विवादों को सुलझाते हुए इमारत-ए-शरिया की मजलीस-ए-शुरा ने 9 अक्तुबर को Ameer e Shariat Bihar का चुनाव कराने का एलान किया है लेकिन क्या सच्च में विवाद पूरी तरह से खत्म हो गया है या फिर यहीं से मुस्लिम समाज का वो तबका जिसके हाथ में मुसलमानों का नेतृत्व है, यहां से विवादों का एक सिलसिला शुरु होने वाला है। जानकार कहते हैं कि इमारत-ए-शरिया मुसलमानों का एक ऐसा संगठन है जिसका इतिहास 100 साल पुराना है। इस संगठन ने मुस्लिम समाज के बीच विकास के सिलसिले में महत्वपूर्ण काम किया है। खासतौर से धार्मिक मामलों में इमारत ने पूरे समाज पर अपनी गहरी छाप छोड़ी है लेकिन अमीर-ए-शरियत के चुनाव के मामले पर गहराया विवाद मजहबी नुमाइंदगी करने वाले लोगों को कटघरे में खड़ा किया है। मुस्लिम समाज को ये महसूस होने लगा है कि एकता का सबक देने वाले लोगों के बीच में ओहदे को लेकर किस कदर बिखराव है। वो ये समझने लगे हैं कि लोगों के कल्याण के लिए काम करने का दावा करने वाले लोग अमीर-ए-शरियत के ओहदे के लिए क्यों आपस में लड़ रहे हैं।

 

Ameer e Shariat Bihar
Imarat e Shariah Bihar

 

 

सबसे बड़ा होता है अमीर-ए-शरियत का ओहदा

 

जानकारों का कहना है कि Ameer e Shariat Bihar का ओहदा सबसे बड़ा ओहदा होता है। अमीर-ए-शरियत का लोगों के बीच काफी बड़ा मुकाम है वहीं सियासी तौर पर भी उस ओहदे पर बैठे शख्स की काफी पूछ होती है। अमीर-ए-शरियत बन जाने पर पूरी जिंदगी उस ओहदे पर बने रहने की रवायत है यानी उनके निधन के बाद ही कोई दुसरा शख्स अमीर-ए-शरियत बन सकता है। मौलाना वली रहमानी इमारत-ए-शरिया के अमीर-ए-शरियत थे। उनका निधन इसी साल 3 अप्रैल को पटना में हुआ। इमारत के संविधान के मुताबिक तीन महीने के भीतर Ameer e Shariat Bihar का चुनाव करा लेना होता है लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते चुनाव नहीं कराया जा सका और इसी बीच अमीर-ए-शरियत के मामले पर विवाद गहराता गया। दरअसल अमीर-ए-शरियत बनने की होड़ में शुरु से तीन लोगों का नाम सुर्खियों में रहा है। एक मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी हैं, दुसरा मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी हैं और तीसरा मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी हैं।

 

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तीन अहम शख्सियत में कौन है लोगों की पसंद

 

खालिद सैफुल्लाह रहमानी एक मशहूर आलिम-ए-दिन है। उनकी शख्सियत पर यूं तो किसी को एतराज नहीं है लेकिन एक ग्रुप का कहना है कि Ameer e Shariat Bihar का ओहदा काफी अहम होता है जहां कई बार महत्वपूर्ण फैसले लेने होते है और कुछ मौके पर वो फैसला सरकार के विरुद्ध भी हो सकता है। जानकारों का कहना है कि मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी फैसला लेने के मामले में थोड़े कमजोर हैं लेकिन वो एक बड़े आलिम-ए-दीन हैं और उनकी शख्सियत पर लोगों को ज्यादा भरोसा है।

 

मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी का नाम भी सुर्खियों में है। जानकारों के मुताबिक मौलना अनीसुर्रहमान कासमी करीब चार दशक तक इमारत-ए-शरिया से जुड़े रहे हैं। उन्होंने अलग-अलग ओहदों पर रहते हुए इमारत-ए-शरिया के लिए काफी काम किया है। उनके वक्त में इमारत के बजट में इजाफा हुआ और भवन निर्माण से लेकर कई महत्वपूर्ण काम और फैसलों को जमीन पर उतारा गया। जानकारों का कहना है की मौलना अनीसुर्रहमान कासमी एक आलिम-ए-दीन हैं और इमारत-ए-शरिया के कामों के सिलसिले में उनको एक अच्छा तजर्बा है।

 

मौलना अहमद वली फैसल रहमानी, मौलना वली रहमानी के बेटे हैं। मौलाना वली रहमानी के निधन के बाद ही अमीर-ए-शरियत का ओहदा खाली हुआ है। फैसल रहमानी का खानदानी बैकग्राउंड काफी बेहतर है। उनके Great grandfather मुहम्मद अली मुंगेरी एक बड़े इस्लामिक स्कॉलर थे, उनके दादा सैयद मिन्नतुल्लाह रहमानी खुद एक बड़े आलिम-ए-दीन थे और पिता मौलना वली रहमानी किसी ताआरुफ के मोहताज नहीं हैं। फैसल रहमानी अब खानकाह मुंगेर के सज्जादानशीन हैं और एक अच्छा खासा वक्त अमेरिका में गुजार कर आएं हैं।

 

एक कमेटी करती है अमीर-ए-शरियत का चुनाव

 

अमीर-ए-शरियत को चुनने का अख्तियार इमारत-ए-शरिया की एक कमेटी को है जिसका नाम अरबाब हल ओ अकद है। अरबाब हल ओ अकद में 800 से ज्यादा सदस्य हैं। वो सदस्य बिहार, झारखंड और उड़ीसा तीनों सूबों के हैं। अरबाब हल ओ अकद जिसको चाहेंगे वहीं इमारत-ए-शरिया बिहार, झारखंड और उड़ीसा का अमीर-ए-शरियत बनेगा।

 

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इमारत-ए-शरिया का संविधान

 

अमीर-ए-शरियत के निधन के तीन महीने के भीतर चुनाव कराने की जिम्मेदारी नायब अमीर-ए-शरियत की होती है। कोरोना और विवादों के चलते नायब अमीर-ए-शरियत मौलाना शमशाद रहमानी तीन महीने के अंदर चुनाव नहीं करा सके। इमारत के संविधान के मुताबिक तीन महीने के बाद अमीर-ए-शरियत के चुनाव कराने की जवाबदेही इमारत-ए-शरिया के मजलीस-ए-शुरा के पास चली जाती है जिसमें एक सौ से ज्यादा सदस्यों की संख्या है। मजलीस-ए-शुरा ने अमीर-ए-शरियत के चुनाव कराने के लिए तमाम विवादों को खत्म करते हुए 9 अक्तुबर की तारीख तय की है। यह चुनाव पटना के फुलवारी शरीफ में होगा जहां सुरक्षा का भी खास इंतज़ाम रहेगा।

 

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एक दूसरे पर उछाला गया किचड़

 

इस बीच एक दूसरे पर खुब किचड़ उछाला गया और तरह-तरह के ऑडियों वायरल कर के एक दूसरे के नीचा दिखाने का सिलसिला कई महीनों से चल रहा है। जाहिर है इससे इमारत की शाख को नुकसान पहुंचा है। तीनों ग्रुप के लोगों में तीखी बहस भी हुई और हर ग्रुप अपने आप को अमीर-ए-शरियत सबसे बेहतर उम्मीदवार बताया, हालांकि इस सिलसिले कहा जाता रहा कि कौन बनेगा Ameer e Shariat Bihar ये अभी तय नहीं है और न ही कोई उम्मीदवार है लेकिन कुछ नहीं कहते हुए भी एक तरह से अपनी-अपनी दावेदारी पेश की गई।

 

क्या तीन नाम के अलावा भी कोई चौथा नाम है?

 

अब सवाल है कि क्या तीन नाम के अलावा भी कोई चौथा नाम है या फिर तीन नाम जो सुर्खियों में रहे हैं उन्हीं में से कोई एक अमीर-ए-शरियत के ओहदे को हासिल करने में कामयाब रहेंगे ये सवाल अभी कायम है। उधर झारखंड और उड़ीसा के लोग इस बवाल को देखते हुए इमारत से अलग होने का फैसला करेंगे या फिर 9 अक्तुबर को एकता का सबूत देते हुए अमीर-ए-शरियत के इंतखाब में शिरकत करेंगे और इमारत टूटने से बच जाएगी ये सब एक सवाल है जिसका जवाब कुछ दिनों में लोगों के सामने होगा लेकिन इतना तय है कि Ameer e Shariat Bihar के चुनाव को लेकर मचे बवाल का असर लोगों में गलत गया है और इमारत के अलावा उससे जुड़े लोगों की छवि खराब हुई है।

 

सियासी लोग

 

सांसद अहमद अशफाक करीम का कहना है कि इमारत-ए-शरिया एक ऐसा एदारा है जिसने मुसलमानों के साथ-साथ समाज के दूसरे लोगों की भी मदद की है। अमीर-ए-शरियत के चुनाव को लेकर विवाद जरूर हुआ है लेकिन उसको सुलझा लिया गया है और अब जो लोग अमीर-ए-शरियत के मामले पर बयान बाजी कर रहे है वो गलत है। गौरतलब है कि अहमद अशफाक करीम, अमीर-ए-शरियत के चुनाव के लिए बनाई गई 11 लोगों की कमेटी के कॉनवेनर हैं।

 

एम आई एम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान का कहना है कि इमारत-ए-शरिया के अमीर-ए-शरियत का चुनाव विधानसभा के चुनाव जैसा नज़ारा पेश कर रहा है जो सही नहीं है। ये एक मिल्ली और मजहबी एदारा है जिसको बचाना सभी के लिए जरूरी है लेकिन जिस तरह से बयान बाजी का दौर चला है उससे इमारत के वकार को नुकसान पहुंचा है। अख्तरुल इमान ने मुस्लिम संगठनों से अपील किया है कि बगैर किसी विवाद और हंगामे के अमीर-ए-शरियत के चुनाव का मामला हल किया जाए ताकि लोगों के बीच एक अच्छा पैगाम जाए।

 

इमारत-ए-शरिया के जिम्मेदार

 

नायब अमीर-ए-शरियत मौलाना शमशाद रहमानी के मुताबिक अब किसी तरह का कोई विवाद नहीं है तमाम मामलों को सुलझा लिया गया है और इत्तेहाद का सबूत देते हुए अमीर-ए-शरियत का चुनाव मुकम्मल होगा। मौलाना शमशाद रहमानी का कहना है कि 9 अक्तुबर के चुनाव के लिए तमाम तैयारी मुकम्मल हो चुकी है। इमारत के उप महासचिव मुफ्ती सनाउलहोदा कासमी का कहना है कि पहले ये कोशिश की जाएगी की किसी एक नाम पर लोगों की सहमती बन जाए लेकिन एक से ज्यादा उम्मीदवार होगे तो वोटिंग कराने का भी इंतज़ाम रहेगा। मुफ्ती सनाउलहोदा कासमी के मुताबिक उस दिन कई राज्यों के अमीर-ए-शरियत भी प्रोग्राम में शिरकत करेंगे।

 

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