AMU KISHANGANJ
AMU KISHANGANJ: एएमयू किशनगंज के मामले पर सियासत
कई वर्ष गुजर जाने के बाद भी एएमयू किशनगंज का ब्रांच पूरी तरह से जमीन पर नहीं उतर सका है। स्थानीय सियासी रहनुमाओं ने इस मामले पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। एमआईएम का कहना है कि एएमयू को पूरी तरह से सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है वहीं जेडीयू का कहना है कि स्थानीय सियासी नेताओं के चलते ये मसला हल नहीं हुआ है। |
बिहार के सीमांचल के लिए वो दिन काफी खुशियों भरा था जब किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की शाख को कायम करने का एलान किया गया था। कई वर्ष गुजर जाने के बाद भी AMU KISHANGANJ का ब्रांच पूरी तरह से जमीन पर नहीं उतर सका है। स्थानीय सियासी रहनुमाओं ने इस मामले पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। एमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान का कहना है कि एएमयू के लिए राज्य सरकार ने जमीन तो मुहैया करा दिया है लेकिन विश्वविद्यालय को जमीन पर उतारने की कोई कोशिश नहीं की गई है। अख्तरुल ईमान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपील किया है कि सीमांचल की पसमांदगी को देखते हुए केंद्र सरकार से एएमयू की स्थापना के लिए फंड की मांग की जाए। अख्तरुल ईमान के मुताबिक राज्य सरकार अगर पहल करती है तो ये मसला हल हो सकता है। एमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि सीमांचल को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। अख्तरुल ईमान ने कहा कि एएमयू के मुद्दे को हल कराने के संबंध में मुख्यमंत्री के स्तर से कुछ भी नहीं किया जा रहा है।
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जेडीयू ने उठाया सवाल
उधर जेडीयू के महासचिव मेजर इकबाल हैदर खान का कहना है कि स्थानीय सियासी नेताओं की लापरवाही से AMU KISHANGANJ का मसला हल नहीं हुआ है। मेजर इकबाल हैदर के मुताबिक राज्य सरकार ने जमीन मुहैया करा दिया है। अब यूनिवर्सिटी को बनाने की जवाबदेही केंद्र सरकार की है। स्थानीय एमएलए और एमपी को इस संबंध में कोशिश करनी चाहिए। मेजर इकबाल हैदर का कहना है कि एएमयू को स्थानीय सियासी रहनुमा महज एक सियासी मुद्दा के तौर पर याद करते है। मेजर इकबाल हैदर ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीमांचल की तरक्की के लिए काफी काम किया है। एएमयू का मामला भी राज्य सरकार के प्राथमिकताओं का हिस्सा रहा है। एएमयू ब्रांच को चलाने के लिए मुख्यमंत्री ने दो-दो अल्पसंख्यक छात्रावास दिया है। अब स्थानीय सियासी लोगों को इस सिलसिले में पहल करना चाहिए ताकि केंद्र सरकार इस पर पहल करें और विश्वविद्यालय का कैंपस तैयार हो। मेजर इकबाल का कहना है कि तालीम के बगैर किसी समाज की तरक्की का ख्वाब अधूरा है। बिहार का सीमांचल शैक्षणिक दृष्टिकोण से हाशिए पर रहा है। राज्य सरकार ने सीमांचल के मसले को हल करने की कोशिश की है। एएमयू ब्रांच को जमीन पर उतारने के लिए स्थानीय सियासी रहनुमाओं को भी कोशिश करनी चाहिए।
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