Araria Lok Sabha
Araria Lok Sabha – अररिया लोकसभा क्षेत्र में कांटे की टक्कर
Araria Lok Sabha क्षेत्र में BJP और RJD में सीधा मुकाबला है। NDA के BJP उम्मीदवार प्रदीप कुमार सिंह और इंडिया गठबंधन के RJD उम्मीदवार मोहम्मद शाहनवाज आलम के बीच कांटे की टक्कर है। किसके हाथ में जा रहा है अररिया। देखें रिपोर्ट- जनता का मन और उम्मीदवारों के वादें। |
महफूज आलम/ पटना
2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार के 40 लोकसभा सीटो पर हर पार्टी अपने उम्मीदवारों के जीत का दावा ठोक रही है। तीसरे चरण में सीमांचल के मुस्लिम बहुल क्षेत्र अररिया में वोटिंग होना है। Araria Lok Sabha क्षेत्र में BJP और RJD में सीधा मुकाबला है। NDA के BJP उम्मीदवार प्रदीप कुमार सिंह और इंडिया गठबंधन के RJD उम्मीदवार मोहम्मद शाहनवाज आलम के बीच कांटे की टक्कर है। गौरतलब है कि Araria Lok Sabha क्षेत्र में आमतौर पर बीजेपी और आरजेडी के बीच ही मुकाबला होता रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी वही नजारा देखने को मिल रहा है।
इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार
इंडिया गठबंधन के आरजेडी उम्मीदवार मोहम्मद शाहनवाज आलम चुनावी मैदान में अपना ताल ठोक रहे हैं। शाहनवाज आलम पहली बार Araria Lok Sabha का चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले बिहार विधानसभा के चुनाव में वो अररिया के जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र से AIMIM के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीते थे। बाद में उनका मन बदल गया और वो AIMIM से पाला बदल कर आरजेडी का दामन थाम लिए। आरजेडी ने उन्हें पहले मंत्री बनाया और अब 2024 में अररिया लोकसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है।
कांटे की टक्कर
Araria Lok Sabha क्षेत्र शाहनवाज आलम का सियासी विरासत भी है। शाहनवाज आलम सीमांचल के गांधी के नाम से मशहूर मोहम्मद तसलीमुद्दीन के बेटे हैं। मोहम्मद तसलीमुद्दीन 2014 के लोकसभा के चुनाव में अररिया लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे। उस वक्त भी उनका मुकाबला बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह से हुआ था। मोहम्मद तसलीमुद्दीन के निधन के बाद Araria Lok Sabha में उप चुनाव हुआ जिसमें शाहनवाज आलम के भाई सरफराज आलम चुनाव जीते और सरफराज आलम का मुकाबला भी बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह से हुआ था। 2019 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी के सरफराज आलम और बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह से सीधा मुकाबला हुआ जिसमें प्रदीप कुमार सिंह ने सरफराज आलम को शिकस्त देते हुए Araria Lok Sabha क्षेत्र का चुनाव जीते।
2024 में फिर से बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह का मुकाबला आरजेडी उम्मीदवार से हो रहा है। इस बार आरजेडी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है और शाहनवाज आलम को चुनावी मैदान में उतारा है।
इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार का दावा
इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार शाहनवाज आलम ने दावा किया है कि अगर वो Araria Lok Sabha क्षेत्र से चुनाव जीतते है तो यहां के बुनियादी मसलो को हल करेंगे। उन्होंने कहा कि अररिया में रोजगार नहीं है। बड़ी संख्या यहां के लोग दो वक्त की रोटी की तलाश में पलायन करते रहे हैं। उनका कहना है कि अररिया लोकसभा क्षेत्र में रोजगार मुहैया कराने के साथ-साथ यहां तालीमी एदारों की स्थापना की जाएगी। उनका कहना है कि किसानों और मजदूरों की मुश्किलों को हल करने के अलावा सैलाब और नदियों के कटाव का मसला हल किया जाएगा।
एनडीए के उम्मीदवार का दावा
एनडीए के उम्मीदवार प्रदीप कुमार सिंह का कहना है कि उन्होंने पहले भी इस इलाके के विकास के सिलसिले में काफी काम किया है। इस बार उन्हें फिर से Araria Lok Sabha क्षेत्र की नुमाइंदगी का मौका मिलता है तो अररिया के बाकी बचे काम को पूरा किया जाएगा। प्रदीप कुमार सिंह ने दावा किया है कि उन्होंने केंद्र की योजनाओं से इस क्षेत्र के लोगों को काफी फायदा पहुंचाया है। 2024 के लोकसभा का चुनाव वो इस बार जीत जाते हैं तो वो सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। इसके अलावा उनका कहना है कि मेडीकल कॉलेज, एयरपोर्ट, सड़क और दूसरी बुनियादी सहुलतों को मुहैया कराने की वो कोशिश करेंगे।
अररिया लोकसभा क्षेत्र में मुसलमानों की बड़ी आबादी
Araria Lok Sabha क्षेत्र में मुसलमानों की बड़ी आबादी है। इस लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र है- अररिया, जोकीहाट, सिकटी, नरपतगंज, रानीगंज और फारबिसगंज। अररिया विधानसभा क्षेत्र में करीब 60 फीसदी अकलियतों की आबादी है। जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में करीब 70 फीसदी अकलियतों की आबादी है। फारबिसगंज में करीब 36 फीसदी। सिकटी में करीब 33 फीसदी। नरपतगंज में करीब 27 फीसदी और रानीगंज में करीब 28 फीसदी अकलियतों की आबादी है। छह विधानसभा क्षेत्रों में तीन पर बीजेपी का कब्जा है, एक पर जेडीयू का, एक पर कांग्रेस और एक पर आरजेडी का। यानी चार विधानसभा क्षेत्रों पर एनडीए और दो विधानसभा क्षेत्रों पर इंडिया गठबंधन का कब्जा है।
काफी पिछड़ा रहा है क्षेत्र
मुस्लिम बहुल ये इलाका बिहार के ही दूसरे क्षेत्रों से काफी पीछे है। आज भी यहां के लोगों को आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। फोरलैन की सड़क अररिया हो कर जरूर गुजरती है लेकिन Araria Lok Sabha के अंदरूनी क्षेत्रों में लोगों को नदियों पर पुल भी मयस्सर नहीं है। इसके अलावा किसान, मजदूर और युवाओं के अपनी-अपनी समस्याएं है। हर साल बाढ़ के कारण इलाके के लोग मुश्किलों में रहते हैं, किसानों के फसलें बर्बाद हो जाती है लेकिन चुनाव जीत कर जाने वाले सियासी रहनुमा अपने वादे को जमीन पर उतारने से कोसो दूर रह जाते हैं।
कभी घुसपैठीया तो कभी गैर जरूरी मुद्दे
चुनाव में उम्मीदवार Araria Lok Sabha क्षेत्र के स्थानीय मुद्दों समेत बुनियादी मसलों को हल कराने का दावा करते रहे हैं लेकिन अररिया में कभी घुसपैठियों का मुद्दा उठाया जाता है और कभी बेकार की बातों को मुद्दा बना कर यहां चुनाव जीतने की रणनीति बनाई जाती है। पुर-अमन ये इलाका अपने सियासी रहनुमाओं से इलाके की तरक्की की मांग करता है। अररिया लोकसभा क्षेत्र की जनता के मुताबिक चुनवा कोई भी जीते लेकिन ये बेहद जरूरी है कि वो इस क्षेत्र के विकास के लिए अपने किए गये वादों को ही जमीन पर लागू कर दें तो इस इलाके में तरक्की का रास्ता खुल जाएगा। उनका कहना है कि अकसर ऐसा होता है कि चुनावी वादें कभी जमीन पर लागू नहीं हो पाता है और सियासी रहनुमा गैर जरूरी मुद्दों को हवा दे कर ही चुनाव जीत जाते हैं। आम लोगों का कहना है की 2024 के लोकसभा चुनाव में अररिया की जनता अपने बुनियादी समस्याओं को ध्यान में रख कर अपने उम्मीदवारों का चयन करेगी। देखना दिलचस्प होगा की शाहनवाज आलम अपनी विरासत बचाते हैं या प्रदीप कुमार सिंह। चुनावी माहौल में अररिया लोकसभा क्षेत्र की जनता खामोश है लेकिन वो अपना मन बना चूकी है कि किस को इस बार अररिया का बागडोर सौंपना है।
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