This article on Higher education in Madarsas of Bihar in Hindi
बिहार के मदरसों में उच्च शिक्षा का हाल। बीए और एमए के छात्रों को पढ़ाते हैं इंटर पास शिक्षक।
(Higher education in Madarsas of Bihar) बिहार में यूं तो सुशासन की सरकार है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शिक्षा में बदलाव करने का दावा करते रहे हैं। स्कूल और कॉलेजों की हालत पहले से बेहतर हुई है और सरकार ने कई विश्वविद्यालयों की स्थापना भी की है। मदरसा शिक्षा को भी बढ़ावा देने का भरोसा दिलाया जाता रहा है लेकिन सबसे बुरा हाल मदरसों के उच्च शिक्षा का है। मामला भी दिलचस्प है कि आलिम और फाज़िल यानी बीए और एमए के छात्रों को पढ़ाने के लिए कोई पोस्ट ही मंज़ुर नही है यानी बीए और एमए के छात्रों की तालीम इंटर के ओहदे पर नियुक्त शिक्षकों के हाथों में है। अब जबकि मदरसा तालीम पर खुब बहस हो रही है तो ऐसे में ये सवाल उठना लाज़मी है कि मदरसों के आला तालीम के साथ ऐसा मजाक़ क्यूं है। मज़े की बात ये है कि इस मामले में अकलियती समाज के रहनुमाओं का रवैया भी अफसोसनाक रहा है। अकलियती संगठनों ने इस मसले को हल करने की कई बार अपील की है लेकिन सियासी गलियारों में तालीम का मामला वैसे भी कोई अहमियत नहीं रखता है नतिजे के तौर पर बदलते बिहार में भी मदरसों की उच्च शिक्षा की तस्वीर काफी पुरानी है।
राज्य के 118 बीए और एमए स्तर के मदरसों के छात्र मुश्किल में।
आलिम और फाज़िल के मदरसों में इंटर तक का पोस्ट मंज़ुर है यानी बीए और एमए के छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षक का कोई पोस्ट मंज़ुर नही है। अब सरकार मदरसों के उच्च शिक्षा में किस तरह से बदलाव ला पाएगी ये अपने आप में एक दिलचस्प मौजु है। सुबे के आलिम और फाज़िल के मदरसों का कंट्रोल बिहार राज्य मदरसा एजुकेशन बोर्ड के पास है जबकि परीक्षा लेने की जिम्मेदारी मौलाना मज़हरूलहक विश्वविद्दालय की है। मदरसा बोर्ड कहता है कि आलिम और फाजिल मदरसों का मामला मज़हरूलहक विश्वविद्यालय को देखना चाहिए जबकि युनिवर्सिटी का कहना है कि उनके पास तो सिर्फ छात्रों के परीक्षा लेने की ही जवाबदेही है। मदरसा बोर्ड और युनिवर्सिटी के दरमियान मदरसों के आलिम और फाज़िल के छात्रों का भविष्य दाव पर लगा है। जानकार कहते है कि सरकार को इस मामले में ज़रुर पहल करना चाहिए।
मदरसों के छात्रों को है अपने भविष्य की चिंता।
अकलियती संगठनों ने कई बार इस सवाल को हल कराने की सरकार से अपील की है लेकिन ये मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है। मदरसे के छात्रों का कहना है कि उनके मुसतकबिल को लेकर सरकार गंभीर नही है। जानकारों के मोताबिक मदरसों के बीए और एमए के छात्र बगैर शिक्षक के कैसे तालीम हासिल करेगें इस सवाल पर सियासी रहनुमाओं को गौर करना चाहिए। जानकारों ने ये भी कहा कि मौलाना मज़हरूलहक विश्वविद्यालय मदरसों के आलिम और फाज़िल के छात्रों को डिग्री देती है अगर उन मदरसों में शिक्षकों की बहाली का मसला हल कर दिया जाए तो वहां के छात्र भी सिर्फ डिग्री तक महदुद नही रहेगें बल्कि वो भी अपनी कामयाबी की तारीख लिखने के काबिल बन सकेगें।
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