Imarat Shariah Bihar और सरकार
इमारत-ए-शरिया बिहार: पिछले एक साल में नही हुआ अकलियतों का कोई काम
(Imarat Shariah Bihar और सरकार) लॉकडाउन और कोरोना के सबब सरकार की योजनाएं काफी प्रभावित हुई है उसमें अल्पसंख्यकों के नाम पर चलने वाली योजनाएं भी शामिल है। मुसलमानों की सबसे बड़ी तंज़ीम इमारत-ए-शरिया बिहार का कहना है कि एक साल से अकलियतों के नाम पर चलने वाली सरकार की योजनाएं जम़ीन पर नही उतर सकी है। अब जबकी हालात मामुल पर आ गया है सरकार को चाहिए की वो अपने काम में तेजी लाते हुए अल्पसंख्यकों के नाम से शुरु की गई स्कीम को ज़मीन पर लागु करे।
लॉकडाउन में अकलियती आबादी माली बोहरान के शिकार
इमारत-ए-शरिया बिहार के नायब नाज़िम मौलाना मुफ्ती सनाउलहोदा कासमी ने कहा कि पिछले एक साल में अकलियती आबादी की हालत बेहद खराब हुई है। रोज़गार से लेकर अकलियतों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई है। उधर अकलियतों के विकास के नाम पर चलने वाली सरकारी योजनाएं भी जमीन पर लागु नही हो रही है। मौलाना सनाउलहोदा कासमी का कहना है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को इस तरफ पुरी संजिदगी से तवज्जो देनी चाहिए ताकी नीतीश कुमार की सरकार पर लोगों का विश्वास कायम हो सके।
अकलियती एदारों को गठन करने की मांग
इमारत-ए-शरिया का कहना है कि सुबे की उर्दू अकादमी, उर्दू परामर्शदाता समिति के साथ ही गवर्मेंट उर्दू लाईब्रेरी का गठन नही हुआ है। उर्दू टिचरों की जगहे स्कुलों में बरसों से खाली पड़ी है वही उर्दू टीईटी उम्मीदवारों के मसले को भी हल करने में सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई कार्यवाई नही की जारही है जो काफी अफसोसनाक बात है। इमारत के मोताबिक लॉकडाउन और कोरोना के कारण सभी जगहों की हालत खराब हुई है जिसमें अकलियती समाज की हालत सबसे ज्यादा खराब है।
स्कूल और धार्मिक स्थलों को खोलने की अपील
(Imarat Shariah Bihar और सरकार) मुफ्ती सनाउलहोदा कासमी ने कहा की अब वक्त आ गया है कि स्कूल और इबादतगाहों को खोलने की सरकार पहल करे। लगातार स्कूल बंद होने से छात्रों की तालीम पर बुरा असर पड़ा है वहीं धार्मिक स्थलों के बंद होने से उससे जुड़े लोग माली मुश्किल में है। कोरोना की मुद्दत में इन संस्थाओं का बंद करना सही फैसला था लेकिन अब हालात ठीक हो गया है तो इबादतगाहों को बंद रखना मोनासिब नही है। सरकार को इस पर ज़रुर गौर करना चाहिए और बगैर किसी देरी के स्कुल और धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाजत देनी चाहिए। (Imarat Shariah Bihar और सरकार)
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