Jama Masjid Imam
Jama Masjid Imam: बिहार के मस्जिदों के ईमान ध्यान दें
ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी के मुताबिक शिक्षा के मामले में कोई भी समाज अगर पीछे रह जाता है तो इसका सिधा मतलब है कि वो समाज कभी तरक्की नहीं कर सकता है। उनका कहना है कि इस बात को ध्यान में रखते हुए ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल पूरे मुल्क में तालीमी तहरीक चला रही है। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में बिहार की मस्जिदों के इमाम से हमने ये मांग की है—–? |
अकलियतों के शैक्षणिक स्तर को बढ़ाने के लिए कई अल्पसंख्यक संगठनें काम कर रही है। उसमें से एक ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल ने पूरे मुल्क में मिशन तालीम 2050 के नाम से मुहिम शुरु किया है। उस मुहिम के तहत बिहार के अलग-अलग जिलों में सेमिनार और प्रोग्राम किया जा रहा है। ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल का कहना है कि तालीमी तहरीक में उस वक्त तक कामयाबी नहीं मिलेगी जब तक समाज का हर वर्ग पूरी तरह से इस सिलसिले में जागरूक नहीं हो। ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी ने कहा की आज सब से ज्यादा जरूरत तालीम की है। उनके मुताबिक शिक्षा हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा है लेकिन आज के वक्त में उसकी जरूरत काफी बढ़ गई है। मिल्ली कौंसिल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के मुताबिक शिक्षा के मामले में कोई भी समाज अगर पीछे रह जाता है तो इसका सिधा मतलब है कि वो समाज कभी तरक्की नहीं कर सकता है। उनका कहना है कि इस बात को ध्यान में रखते हुए ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल पूरे मुल्क में तालीमी तहरीक चला रही है। उन्होंने ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में मस्जिदों के इमाम का खासा असर होता है। इसलिए मिल्ली कौंसिल ने उनसे अपील किया है कि वो तालीमी बेदारी को लेकर सरगर्म भूमिका अदा करें। खासतौर से Jama Masjid Imam से हमारी अपील है कि वो जुमा के दिन अपने खास तकरीर में तालीम को मौजू बनाएं और लोगों को इस संबंध में जागरूक करने का प्रयास करें।
इस तरह से होगी तालीम की शमां रौशन
ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल का कहना है कि अगर Jama Masjid Imam मिशन तालीम 2050 से पूरी तरह जुड़ जाएं तो अल्पसंख्यक आबादी के बीच तालीम की शमां रौशन हो सकती है। मिल्ली कौंसिल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी के मुताबिक समाज के हर वर्ग को तालीम के सिलसिले में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गरीब, पिछड़े, शोषित, दलित, महिलाएं और अल्पसंख्यक समाज तालीम के मामले में हाशिए पर हैं। उनका कहना है कि अभी भी बिहार के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का माकूल माहौल नहीं है। शैक्षणिक संस्थाओं की बेहद कमी है। खासतौर से छात्राओं और मुस्लिम छात्राओं को पढ़ने के लिए शिक्षण संस्थान काफी कम है। मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी का कहना है कि इस सिलसिले में जहां सरकार को संजीदा काम करना चाहिए वहीं समाज के बा-असर लोगों को भी स्कूल, कॉलेज बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए। मिल्ली कौंसिल के मुताबिक शिक्षा से ही समाज, देश या किसी कौम का मुकद्दर बदलता है। उन्होंने ने कहा कि इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए साथ ही आम लोगों के जागरूकता के लिए भी पहल होना जरूरी है। उसमें Jama Masjid Imam भी अपनी तरफ से कोशिश करें ताकी समाज की दिशा और शैक्षणिक माहौल बेहतर हो सके।
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