Minority Residential School
बिहार के सभी जिलों में खोला जाना है Minority Residential School
करीब चार साल पहले बिहार सरकार ने एलान किया था कि राज्य के प्रत्येक जिले में एक-एक अल्पसंख्यक आवासीय स्कूल की स्थापना की जाएगी। इस सिलसिले में कहा गया था की वक्फ बोर्ड की भूमि का इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन चार साल में सिर्फ चार ज़िले ही ऐसे है जहां अल्पसंख्यक आवासीय स्कूल का निर्माण कार्य शुरु हो सका है। |
बिहार में अल्पसंख्यकों की आबादी 17 फीसदी है लेकिन उस आबादी का एक बड़ा हिस्सा शैक्षणिक दृष्टिकोण से समाज के हाशिए पर खड़ा है। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के बाद से ही पूरे देश में अल्पसंख्यों की शैक्षणिक स्थिति को बेहतर करने की कोशिशें समाज और सरकार की तरफ से की जा रही है। सरकार अल्पसंख्यकों के तालीमी मसले को हल करने की समय-समय पर पहल करती है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने करीब चार साल पहले ये एलान किया था की सभी जिलों में एक-एक Minority Residential School कायम किया जाएगा। इस सिलसिले में कहा गया था की वक्फ बोर्ड की भूमि का इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन चार साल में सिर्फ चार ज़िले ऐसे है जहां किसी तरह से अल्पसंख्यक आवासीय स्कूल का निर्माण शुरु हो सका है। वो जिला है दरभंगा, पूर्णिया, किशनगंज और मधुबनी।
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अल्पसंख्यक विभाग का दावा
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का कहना है कि अल्पसंख्यक आवासीय स्कूल के लिए सरकार की तरफ से लगातार कोशिश की जा रही है। अल्पसंख्यक मंत्री जमा खान ने कहा की जल्द ही कई जिलों में अल्पसंख्यक आवासीय स्कूल का निर्माण कार्य शुरु होने वाला है। जमा खान का कहना है कि जमीन मिलने में आ रही देरी के कारण हम समय पर स्कूलों का निर्माण नहीं करा पाए हैं लेकिन इस सिलसिला में सरकार पूरी तरह से गंभीर है जिसका रिजल्ट लोगों को जल्द मिलेगा। मंत्री जमा खान के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाज के सभी वर्ग के लिए काम कर रहे हैं। अकलियती समाज का एक बड़ा हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र में पीछे रह गया है। हमारी सरकार अकलियतों की तालीमी मुश्किलों को हल करने की कोशिश कर रही है जिसका एक उदाहरण Minority Residential School है।
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जानकारों ने उठाया सवाल
जानकारों का कहना है कि अकसर ये देखा गया है कि कोई भी योजना बगैर राजनीतिक फायदे के शुरु नहीं की जाती है। अकलियतों को खुश करने के लिए बिहार सरकार ने Minority Residential School योजना शुरु करने का एलान किया था लेकिन काम की रफ्तार देख कर ऐसा लगता है की सरकार स्कूल की इस योजना के संबंध में बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है। उधर वक्फ बोर्ड जिसकी भूमि का इस्तेमाल स्कूल को बनाने के लिए किया जाना है उसकी संजीदगी का आलम ये है कि चार साल में सिर्फ चार जिले ऐसे हैं जहां स्कूल के निर्माण का कार्य शुरु हुआ है बाकी जगहों पर अभी भी मसला है। या तो जमीन नहीं मिली है या जमीन मिली भी है तो कोई ना कोई समस्या मौजूद है। बुद्धिजीवियों के मुताबिक तालीम के नाम पर शुरु की गई योजना को जमीन पर उतारने की कार्रवाई की जानी चाहिए। तरक्की के लिए शिक्षा का होना जरूरी है। ऐसे में पिछड़े समाज के विकास के लिए ये आवश्यक है कि शिक्षा के क्षेत्र में किए गये एलान पर सरकार ईमानदारी से काम करें।
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