Up Assembly Election
उत्तर प्रदेश में एमआईएम
PATNA- आज़ादी के बाद हिंदुस्तान में मुस्लिम कयादत जब भी अपना पांव जमाने की कोशिश की है सेक्यूलरिज़्म का चोला पहने सियासी पार्टियों ने उसका विरोध किया है। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने ये बातें कही। अख्तरुल इमान का कहना है कि जब भी हमारी पार्टी किसी सुबे में चुनाव लड़ने जाती है तो सबसे ज्यादा दिक्कत सेक्यूलरिज़्म की दुहाई देने वाली सियासी पार्टियों को होती है। उन पार्टियों ने मसलेहत की चादर में सेक्यूलरिज्म का पाठ पढ़ा कर मुस्लिम अकलियत की सियासत को जमींदोज कर दिया है। अब अगर कोई पार्टी अकलियत, दलित, कमज़ोर और शोषित वर्ग के सवाल को लेकर मैदान सियासत में उनकी आंखों में आंख डाल कर बात करती है तो उन्हें अपनी सियासी ज़मीन दरकने का डर बना रहता है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही वो एमआईएम की मौजुदगी से खफा हैं।
बिहार के चुनाव में अपनाई गई रणनीति क्या यूपी में भी काम करेगी।
Up Assembly Election में बिहार विधानसभा चुनाव वाला ही आत्मविश्वास है। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन का कहना है कि यूपी में दलित, अल्पसंख्यक, कमज़ोर वर्ग और बेरोज़गार नौजवानों की क्या हालत है ये बताने की ज़रुरत नही है। लोगों को रवायती सियासत से अलग हट कर विकास और इंसाफ के उसूलों को ध्यान में रख कर वोट करना चाहिए। यूपी केंद्र के मुकद्दर का फैसला करती है। सियासत की मंज़ील यूपी से हो कर गुजरती है। हर सियासी पार्टी अपना मुकद्दर आजमाएगी। हमारी पार्टी के पास भी यूपी के विकास का खाका है। अख्तरुल इमान का कहना है कि हम बिहार के पांच विधानसभा क्षेत्र में कामयाब रहे Up Assembly Election में भी कामयाब होंगे। गौरतलब है कि यूपी में 403 विधानसभा की सीट है जिसमें करीब एक सौ सीटों पर मुस्लिम अकलियत आबादी उम्मीदवारों के किस्मत का फैसला करती है। एमआईएम उन इलाकों में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
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अल्पसंख्यक हैं परेशान
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन का कहना है कि मुस्लिम अकलियत से ज्यादा परेशान हाल कोई नही है। ऐसे में उनके दरमियान में भी नेतृत्व उठना चाहिए। एमआईएम के चुनावी मैदान में आने से ही अकलियतों के वोटों पर राज करने वाली सियासी पार्टियों के पेट में दर्द होने लगता है। अख्तरुल इमान का कहना है कि वो पार्टियां मुस्लिम वोटों की सौदागिरी करती रही है। अल्पसंख्यकों को फिरका परस्ती का खौफ दिखा कर उनका शोषन करती रही है।
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टोपी पगड़ी की सियासत अब नहीं चलेगी।
देश के सभी चुनावों में टोपी और पगड़ी वाले मुसलमानों को स्टेज पर बैठा कर उनको ठगने की हमेशा कोशिश होती रही है। आइंदा Up Assembly Election में भी ये नज़ारा देखने को मिल जाएगा। लेकिन वोट के ज़माने में टोपी पगड़ी की सियासत नही चलेगी। सेक्यूलरिज़्म की बात करने वाली पार्टियों को ये डर सता रहा है कि अकलियतों के बीच कोई मज़बूत सियासी ताक़त खड़ी हो जाएगी तो उनके पांव की ज़मीन खिसक ना जाए।
हमारी लड़ाई सत्ता के लिए नही है
अख्तरुल इमान का कहना है कि हम सत्ता के लिए सियासी लड़ाई नही लड़ते हैं। पार्टी सदर Asaduddin Owaisi और एमआईएम का तरजे सियासत ये नही है। अख्तरुल इमान का कहना है कि हमारी आबादी और ताकत ये नही है कि हम सत्ता का दावा करे लेकिन इस सेक्यूलर मुल्क में सलाहित और काबलियत की बुनियाद पर एक आला कुर्सी पर बैठने की ओवैसी साहब की हैसियत है लेकिन हमने सत्ता के बजाए इंसाफ की लड़ाई का रास्ता चुना है। हमारा कहना है कि दलित, मुसलमान और महरूम तबके के साथ इंसाफ हो। जो लोग सत्ता में आते है वो सत्ता के नशे में चुर हो जाते है और जो विपक्ष में हैं वो सत्ता की लालच में फंसे रहते हैं। हमारे मसले पर बात करने के लिए कोई तैयार नही है। इसलिए हम अपने मसले पर बात करने के लिए तैयार हो रहे हैं।
एमआईएम के चुनाव लड़ने की बात से ही कुछ लोग हैं परेशान
Up Assembly Election में चुनाव लड़ने की बात पर ही कुछ लोगों के पेट में दर्द हो गया है। बिहार के विधानसभा चुनाव में भी लोग ऐसे ही कह रहे थे लेकिन चुनाव के नतिजे ने साबित किया की वो ग़लत थे। अगर हम चुनाव लड़ेगें नही तो आगे कैसे बढ़ेगें। अख्तरुल इमान का कहना है कि दरअसल दुसरी पार्टियों में अकलियत के लोग हैं लेकिन वो पार्टी की गुलामी में मसरूफ हैं। पार्टी की खौफ से वो हक बात पर भी ज़बान नही खोलते हैं। जबकी एमआईएम किसी भी जात, धर्म और समुदाय के लोगों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ ना सिर्फ खड़ा होती है बल्कि उसे हक दिलाने की कोशिश करती है। हम यूपी में भी मज़बूती से चुनाव लड़ेगें और कामयाब होंगे।
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