Urdu Bangla Tet
Urdu Bangla Tet अभ्यर्थियों के साथ हुई है बड़ी नाइंसाफी- इमारत ए शरिया बिहार।
उर्दू बंगला टीईटी अभ्यर्थियों के साथ इंसाफ होना चाहिए। अल्पसंख्यक संगठनों का कहना है कि हम उनके मसले पर चिंतित हैं और सरकार से मांग करते हैं कि टीईटी अभ्यर्थियों का मामला जल्द हल किया जाए। इमारत-ए-शरिया बिहार, जमात-ए-इस्लामी और बिहार उर्दू टीचर्स एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि टीईटी के अभ्यर्थियों का मसला हल किया जाए और स्कूलों में खाली उर्दू की सिटों पर उनकी नियुक्ति की जाए। |
बिहार के उर्दू बंगला टीईटी अभ्यर्थी को इंसाफ मिलेगा। उनके मसले को हम लोगों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक मजबूती के साथ पहुंचाया है। मुख्यमंत्री भी महसूस कर रहे हैं कि टीईटी के मसले को हल करना चाहिए। ये कहना है इमारत-ए-शरिया बिहार का। पिछले सात साल से Urdu Bangla Tet अभ्यर्थी आंदोलन कर रहे हैं। इमारत-ए-शरिया बिहार के नाजिम मौलाना शिब्ली कासमी का कहना है कि इस मसले पर शिक्षा विभाग को अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए। गौरतलब है कि बिहार में 12000 अभ्यर्थी एक अजीब मुश्किल में अपना वक्त काट रहे हैं। सात साल पहले स्पेशल उर्दू बंगला टीईटी का उन्होंने ने परीक्षा दिया था। 26 हजार से ज्यादा अभ्यार्थी कामयाब हुए। मेरिट लिस्ट में उनका नाम भी आया। उर्दू बंगला टीईटी अभ्यर्थी नियोजन के इंतजार में थे तब तक बिहार स्कूल एक्जामिनेशन बोर्ड ने उस रिजल्ट को रद्द कर उसी परीक्षा का दूसरा रिजल्ट निकाल दिया। जिसमें 12000 पास अभ्यर्थी फेल हो गए। पिछले सात सालों से उर्दू बंगला टीईटी अभ्यर्थी सरकार से इंसाफ देने की गुहार लगा रहे हैं लेकिन उनके मसले पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। एक तरह से सरकार ने इस मसले को उलझा कर रखा है।
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उर्दू आबादी ने सरकार से पूछा सवाल
उर्दू बंगला टीईटी अभ्यर्थियों के मामले पर पूरे बिहार में उर्दू से जुड़े लोगों ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। बार-बार मांग करने के बाद भी सरकार की तरफ से इस सिलसिले में कोई कार्रवाई नहीं किया जाना उर्दू आबादी को हैरत में डालता है। उनका कहना है कि पहले से ही सूबे के स्कूलों में उर्दू शिक्षकों की जगहे वर्षों से खाली पड़ी है। उर्दू के शिक्षक नहीं मिलने का बहाना बना कर स्कूलों में नियुक्ति नहीं हो रही है। उधर 12000 उर्दू बंगला टीईटी अभ्यर्थी अपनी नियुक्ति के लिए सात सालों से जद्दोजहद कर रहे हैं लेकिन सरकार ने इस मामले में कुछ करना जरूरी नहीं समझा है। स्कूलों में उर्दू को नजरअंदाज किए जाने से उच्च शिक्षण संस्थाओं के उर्दू विभाग में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है। अब कई कालेज में उर्दू विभाग पर ही सवाल खड़ा हो गया है। जानकारों के मुताबिक एक साजिश के तहत स्कूलों से उर्दू को हटाने की कोशिश की जा रही है। स्कूलों में उर्दू की पढ़ाई होगी नहीं तो कालेज में उर्दू पढ़ने वाले छात्र कहां से आएंगे। छात्र उर्दू के विभाग में दाखिला नहीं लेंगे तो जाहिर है एक दिन आएगा जब उच्च शिक्षण संस्थाओं से भी उर्दू रुखसत हो जाएगी। जानकारों का कहना है कि स्कूलों में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति की जाए। Urdu Bangla Tet अभ्यर्थियों के मसले को सरकार फौरी तौर पर हल करें और स्कूलों में उनकी नियुक्ति को सुनिश्चित किया जाए।
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उर्दू टीईटी के मामले पर मुस्लिम संगठनों का बयान
मुस्लिम संगठनों का कहना है कि उर्दू बंगला टीईटी अभ्यर्थियों का मसला अब समाज का मसला बन गया है। इमारत-ए-शरिया बिहार के मुताबिक वो शुरु दिन से उर्दू बंगला टीईटी अभ्यर्थियों के साथ हैं। इमारत-ए-शरिया के नाजिम मौलाना शिब्ली कासमी का कहना है कि उर्दू टीईटी का मामला जैसे ही सामने आया इमारत-ए-शरिया ने ये महसूस किया कि उनके साथ कहीं न कहीं नाइंसाफी हुई है। मैं ये यकीन के साथ कह सकता हूं की इस नाइंसाफी में कहीं भी मुख्यमंत्री का हाथ नहीं रहा। लेकिन जो नीचे दर्जे के अफसर और कर्मचारी हैं उन्होंने इस मामले को फंसा कर बिहार की सरकार को बदनाम करने के लिए एक साजिश रची। कुछ दिन पहले हम लोगों ने शिक्षा मंत्री से भी मुलाकात की थी और लगातार टीईटी उर्दू के मुद्दे पर सरकार को आगाह कर रहे हैं और खत लिख रहे हैं। मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री तक ये बात मजबूती से पहुंच चुकी है और वो खुद महसूस कर रहे हैं कि टीईटी के मसले को हल करना चाहिए, ताकि हमारे राज्य से बेरोजगारी भी दूर हो और समाज को भी लगे कि सभी वर्ग के साथ इंसाफ का जो मुख्यमंत्री का नारा है उसमें कोई कमी बाकी नहीं रही है। उर्दू टीईटी को उनका हक मिलना चाहिए। इमारत उनके साथ खड़ी है। हमेशा हम उनके मसले पर चिंतित है और उनके साथ मीटिंग करते रहते हैं। हम सरकार से और खासतौर से शिक्षा विभाग से अपील करते हैं कि इस मसले को जल्द से जल्द हल किया जाए। शिक्षा मंत्री एक अच्छे और सुलझे हुए व्यक्ति हैं। हम लोगों को उम्मीद है कि वो जरूर इस मसले को हल करेंगे।
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जमात-ए-इस्लामी ने कहा उर्दू टीईटी के मामले को उलझाया गया है।
जमात-ए-इस्लामी का कहना है कि उर्दू बंगला टीईटी अभ्यर्थियों के साथ नाइंसाफी हो रही है। लगातार कई वर्षों से वो इस इंतज़ार में हैं कि उनकी नियुक्ति होगी लेकिन उनके मसले को उलझा कर रखा गया है। जमात-ए-इस्लामी हिंद बिहार के अमीर-ए-हल्का रिजवान अहमद इस्लाही का कहना है कि सरकार को अविलंब Urdu Bangla Tet अभ्यर्थियों के मसले को हल करना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि स्कूलों में शिक्षकों की जगहे वर्षों से खाली है। कहा जाता है कि शिक्षक नहीं मिल रहा है जबकि शिक्षक की नियुक्ति के इंतजार में जो लोग बैठे हैं उनके मसले को हल नहीं किया जा रहा है।
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बिहार उर्दू टीचर्स एसोसिएशन आया आगे
बिहार उर्दू टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि दरअसल उर्दू बंगला टीईटी अभ्यर्थियों के मसले को सरकार मसला मानती ही नहीं है। बिहार उर्दू टीचर्स एसोसिएशन के जेनरल सेक्रेटरी डॉ अबुबकर रिजवी का कहना है कि तकनीकी बहाना बना कर सरकार अब तक इस मसले को टालती रही है जो किसी भी तरह मुनासिब नहीं है। जब सरकार की नियत ठीक रहती है तो मसले इतने उलझते नहीं हैं जिस तरह से उर्दू बंगला टीईटी अभ्यर्थियों के मसले को उलझा कर रखा गया है। जब सरकार चाहती है तो रियायत देकर भी इस तरह के मामले को हल किया जाता है। हालत ये है कि हिंदी के लिए सरकार का अलग पैमाना है और उर्दू के लिए अलग। ये नाइंसाफी है। एसोसिएशन का कहना है कि सरकार से हमारी मांग है कि Urdu Bangla Tet अभ्यर्थियों को इंसाफ दिया जाए।