Urdu Library Patna
गवर्नमेंट Urdu Library Patna बंद होने के कागार पर
एमआईएम के विधायक अख्तरुल ईमान ने गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी के मुद्दे को विधानसभा में उठाया था। सरकार की तरफ से लाइब्रेरी के सिलसिले में जवाब दिया गया कि गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी में 10 पद स्वीकृत है जिसके विरुद्ध 08 पद रिक्त हैं। रिक्त 08 पदों को भरे जाने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। |
पटना के अशोक राज पथ पर स्थित गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी की मुश्किल बढ़ गई है। राज्य के दूसरे अल्पसंख्यक संस्थानों की तरह गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी में भी रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं हो रही है। नतीजे के तौर पर आजादी के पूर्व कायम की गई देश की एक मात्र गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी के वजूद पर ही सवाल खड़ा हो गया है। गवर्नमेंट Urdu Library Patna का मामला विधानसभा में भी उठ चुका है लेकिन मसले हल नहीं हुए हैं। उर्दू से जुड़े लोगों का कहना है कि राज्य की दूसरी सरकारी भाषा होने के बाद भी उर्दू के साथ सरकार का रवैया अफसोसनाक है। गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी की एक अलग पहचान रही है। उर्दू भाषा पर काम करने वाले लोग आज भी इस लाइब्रेरी पर गर्व करते हैं। लाइब्रेरी में 40 हज़ार से ज्यादा किताबें मौजूद हैं। उर्दू पर रिसर्च करने वालों के लिए इस लाइब्रेरी का काफी महत्व है लेकिन हाल के दिनों में उर्दू लाइब्रेरी मुश्किल स्थिति का समाना करने पर मजबूर है।
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क्या है मामला
गवर्नमेंट Urdu Library Patna में दस पोस्ट स्वीकृत है। फिलहाल दो कर्मचारी यहां काम कर रहे हैं बाकी के ओहदे वर्षों से खाली है। एमआईएम के विधायक व प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान (Akhtarul Iman) ने इस मुद्दे को बिहार विधानसभा में उठाया था। सरकार की तरफ से लाइब्रेरी के सिलसिले में जवाब दिया गया कि गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी में 10 पद स्वीकृत है जिसके विरुद्ध 08 पद रिक्त हैं। रिक्त 08 पदों को भरे जाने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। शिक्षा विभाग ने 02 नवंबर 2021 को ये जानकारी दी थी। अख्तरुल ईमान का कहना है कि गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी के लिए सरकार की तरफ से जो कुछ किया जाना चाहिए था वह नहीं किया गया। हालत ये है कि जो दो कर्मचारी लाइब्रेरी में फिलहाल काम कर रहे हैं वो भी 2022 में रिटायर्ड हो जाएंगे। ऐसे में ये सवाल उठना लाज़मी है कि बगैर कर्मचारियों के लाइब्रेरी का काम कैसे होगा।
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उर्दू का धरोहर भी सरकारी उपेक्षा का शिकार
एमआईएम (MIM) का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) एक तरफ इंसाफ के साथ तरक्की का दावा कर रहे हैं और दूसरी तरफ उनके काम में इंसाफ दिखाई नहीं देता है। उर्दू राज्य की दूसरी सरकार जबान है फिर भी उर्दू को अपने अधिकारों के लिए बार-बार और लगातार जद्दोजहद करना पड़ता है। क्या सरकार ये मान कर चल रही है कि उर्दू से जुड़े लोगों को रोजगार से नहीं जोड़ा जाएगा। उर्दू की संस्थाओं में नियुक्ति नहीं होगी। सरकार अगर इंसाफ की बात करती है तो उसे इस मसले को हल करने की पहल करनी चाहिए। उर्दू के साहित्यकारों, लेखकों और छात्रों का कहना है कि गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी का काफी महत्व है। पटना को उर्दू की दुनिया में इस लाइब्रेरी के कारण एक अलग नजरिए से देखा जाता है। ये एक धरोहर है और इसे बचाने के लिए सरकार को जरूर पहल करनी चाहिए। उर्दू के लेखकों ने कहा कि गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी के विकास के लिए सरकार को और ज्यादा काम करना चाहिए था लेकिन यहां हालत ये है कि नियुक्ति जैसे मामले को भी सरकार हल नहीं कर पा रही है। जाहिर है गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी में नियुक्ति नहीं होगी तो Urdu Library Patna का काम कैसे चलेगा इस बात पर सरकार को अविलंब गौर करना चाहिए।
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बिहार को उर्दू की नई बस्ती कहा जाता है
कहा जाता है कि किसी राज्य के बौद्धिक तरक्की का पैमाना इस बात से भी नापा जाता है कि वहां के शिक्षण संस्थान और लाइब्रेरियों की क्या स्थिति है। अगर लाइब्रेरी के बारे में सरकार या लोग चिंता करते हैं तो समझा जाता है कि वो राज्य बौद्धिक एतबार से काफी आगे है। जानकारों का कहना है कि बिहार को उर्दू की एक नई बस्ती के तौर पर देखा जाता है। ये वो राज्य है जहां लाख मुश्किलों के बाद भी उर्दू पर काम हो रहा है। उर्दू लोग पढ़ रहे हैं और उर्दू के सिलसिले में लोग फिक्र करते हैं। यही कारण है कि उर्दू लाइब्रेरी की बदहाल हालत लोगों को मायूस कर रहा है। बुद्धिजीवियों का कहना है कि सरकार को इस संबंध में पहल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गवर्नमेंट Urdu Library Patna जहां उर्दू पढ़ने वाले लोगों की जरूरतों को पूरा करती है वहीं ये लाइब्रेरी प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों की जरूरत भी पूरा कर रही है। पटना के अशोक राज पथ पर स्थिति गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी में उर्दू पढ़ने वाले तो आते ही है बड़ी संख्या में यहां ऐसे छात्र भी पढ़ने आते है जो अलग-अलग प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। सभी धर्म और समुदाय के छात्रों की जरूरत को पूरा कर रही उर्दू लाइब्रेरी के मसले जल्द हल करने की छात्र भी अपील कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि उम्मीद करनी चाहिए की नीतीश सरकार इस मसले पर जल्द ध्यान देगी। इसके साथ ही लाइब्रेरी की कमेटी का गठन कर उसके काम में तेजी लाने की कोशिश की जाएगी।
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